स्पेशल आॅडिट को लेकर पतंजलि ने असेसमेंट अधिकारी पर सवाल खड़े किए
अब दिल्ली हार्इकोर्ट ने स्पेशल आॅडिट की अनुमति दे दी है। साथ में कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को यह भी कहा है कि इसके लिए वह आयकर विभाग का सहयोग करे। स्पेशल आॅडिट की शुरूआत के खिलाफ पतंजलि का तर्क यह था कि मूल्यांकन अधिकारी (एओ) समय पर मूल्यांकन पूरा करने आैर अपने प्राथमिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए स्पेशल आॅडिटर की मदद ले रहा था। उसका मकसद था कि रिटर्न्स आैर उससे संबंधित सभी कागजातों की जांच वह समय से पूरा कर ले।
काेर्ट ने नहीं मानी पतंजलि की बात
हालांंकि, कोर्ट ने पतंजलि की इस बात से सहमति नहीं जतार्इ है। इस मामले कि निर्णय में कोर्ट ने लिखा है, “कोर्ट का मानना है कि मूल्यांकन अधिकारी ने अांकलन के लिए अकाउंट आैर रिटर्न का खाका तैयार कर लिया है जिनकी जांच करनी है आैर इसके लिए उन्होंने स्पेशल आॅडिट करने निर्देश दिया है। इसको लेकर उनपर कोर्इ आरोप नहीं लगा है। इन कारणों को ध्यान में रखते हुए, काेर्ट का मानना है रिट पेटीशन का कोर्इ मेरिट नहीं बनता है।” आयकर विभाग ने कहा स्पेशल आॅडिट की जरूरत कंपनी की खाते में पेंचीदिगियों को देखते हुए लिया गया है।
कंपनी के राजस्व लक्ष्य को लगा बड़ा झटका
गौरतलब है कि पिछले पांच सालों में पहली बार पतंजलि आयुर्वेद के राजस्व में गिरावट देखने को मिली है। कंपनी के राजस्व में गिरावट के कर्इ कारण हैं, जैसे – वस्तु एंव सेवा कर का लागू होना आैर कमजोर डिस्ट्रिब्युशन नेटवर्क। मार्च 2018 में समाप्त हुए वित्त वर्ष में कंपनी के कंज्यूमर गुड्स उत्पादों से होने वाले कमार्इ में 10 फीसदी की कमी आर्इ है। इस दौरान यह 8,148 करोड़ रुपए रहा। केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013 के बाद यह पहला एेसा मौका है कि जब कंपनी के राजस्व में इतनी कमी आर्इ है। इसके पहले बाबा रामदेव ने आने वाले तीन से पांच सालों में कंपनी का कुल राजस्व 20,000 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा था। वित्त वर्ष 2012 में कंपनी ने पहली बार 500 करोड़ का राजस्व इकट्ठा किया था जो कि वित्त वर्ष 2016 में 10,000 करोड़ तक पहुंच चुका था।
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