तीन तरह के होते हैं बजट
आपको बता दें कि जैसे आप हर महिने घर चलाने के लिए बजट बनाते हैं। ठीक वैसे ही सरकार भी हर साल अपना बजट तैयार करती है।आसान शब्दों में कहें तो इसमें सरकार की अनुमानित आमदनी और खर्च का पूरा लेखाजोखा होता है। बजट तीन तरह के होते हैं। संतुलित बजट, बचत का बजट (अधिशेष बजट) और घाटे का बजट।
ये होता है संतुलित बजट
संतुलित बजट – ये बजट सरकार की ओर से होने वाला खर्च आगामी वित्त वर्ष में होने वाली संभावित कमाई के बराबर होता है। बता दें कि ये बजट अपनी क्षमता के अनुसार खर्च करने पर आधारित होता है। ये बजट काफी सोच-समझकर संतुलित तरीके से तैयार किया जाता हैं। इसका सबसे बड़ा ये होता है कि देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहती है। इसके बाद आता है बचत का बजट यानी की अधिशेष बजट। इस तरह का बजट सरकार तब लेकर आती है जब सरकारी खर्च अपेक्षित सरकारी राजस्व से कम होता है। ऐसे समय में सरकार का जनता पर होने वाला खर्च टैक्स से मिलने वाले राजस्व की तुलना में कम होता है।
सरकार पर बढ़ता है बोझ
घाटे का बजट को भारत जैसे विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए अनुकूल माना जाता है।यह बजट मंदी के समय कारगर होता है। इससे बाजार में मांग बढ़ती है साथ ही विकास को भी बढ़ावा मिलता है। इससे बड़ी मात्रा में रोजगार भी पैदा किए जा सकते हैं। अक्सर इस तरह के बजट से सरकार और देश पर कर्ज का बोझ बढ़ता है।