अपनों ने ही डुबोई लुटिया
सपा में छिड़ी रार का असर विधानसभा चुनाव के बाद निकाय चुनाव में भी देखने को मिला। सपा ने निकाय चुनाव से पहले पार्टी के तीन नेताओं सरदार मनप्रीत सिंह कीर, सत्यवीर यादव और डॉ. सत्यप्रकाश धनगर को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। मतदान से दो दिन पहले सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अजीम भाई ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया था। पूर्व जिलाध्यक्ष ने ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी का समर्थन कर दिया था। इसके बाद मुस्लिम वोटर पतंग के साथ चले गए थे। मुस्लिम वोटर न मिलने से सपा प्रत्याशी सावित्री देवी को करारी हार का सामना करना पड़ा था।
जिलाध्यक्ष से मांग रहे थे इस्तीफा
निकाय चुनाव में सात सीटों में से सपा मात्र दो सीट ही निकाल सकी थी। इनमें शिकोहाबाद और फरिहा शामिल हैं। सपा की हार के बाद पार्टी में ही बगावत शुरू हो गई। पार्टी पदाधिकारियों ने ही सपा जिलाध्यक्ष रामसवेक यादव से इस्तीफा देने की पेशकश कर दी थी। कई दिनों चुप बैठने के बाद सपा जिलाध्यक्ष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। रामसेवक यादव का कहना है कि पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने जिलाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। सपा जिलाध्यक्ष का पद रिक्त होने के बाद सपा के पदाधिकारी जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल हो गए हैं।
अखिलेश यादव ने मांगी बागियों की सूची
वहीं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी हार की समीक्षा कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने जिले भर के बागियों की सूची मांगी है। माना जा रहा है निकाय चुनाव में मिली हार को लेकर पार्टी के अन्य पदाधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है।