विदेशों में जाती हैं चूड़ियां
फिरोजाबाद में कांच की हरी चूड़ियां जिन्हें सुहाग की निशानी माना जाता है। बड़े स्तर पर तैयार होती हैं। पूरे देश के अंदर उत्तर प्रदेश का एक मात्र जिला फिरोजाबाद है जहां से चूड़ियां बड़े पैमाने पर देश विदेश में जाती हैं। इसलिए इस शहर को सुहागनगरी के नाम से भी जाना जाता है। यही नहीं यहां अब हैंडीक्राफ्ट के कांच आयटम भी बड़े स्तर पर तैयार किए जाते हैं। फिरोजाबाद में करीब 200 कारखाने संचालित हैं। इनमें गैस चालित करीब 125 चूड़ी कारखाने संचालित हैं। तीन दर्जन कारखाने माउथ ब्लोइंग कांच कारखाने हैं। इन्हें माउथ ब्लोइंग इसलिए कहा जाता है कि इन कारखानों में मजदूर कांच की नली में लपेटकर फूंक मारकर उपकरण तैयार करते हैं। इनके अलावा करीब दो दर्जन आॅटोमेटिक ग्लास इंडस्ट्रीज हैं जहां कम संख्या में श्रमिक काम करते हैं। यहां अधिकतर काम मशीनों से होता है।
फिरोजाबाद में कांच की हरी चूड़ियां जिन्हें सुहाग की निशानी माना जाता है। बड़े स्तर पर तैयार होती हैं। पूरे देश के अंदर उत्तर प्रदेश का एक मात्र जिला फिरोजाबाद है जहां से चूड़ियां बड़े पैमाने पर देश विदेश में जाती हैं। इसलिए इस शहर को सुहागनगरी के नाम से भी जाना जाता है। यही नहीं यहां अब हैंडीक्राफ्ट के कांच आयटम भी बड़े स्तर पर तैयार किए जाते हैं। फिरोजाबाद में करीब 200 कारखाने संचालित हैं। इनमें गैस चालित करीब 125 चूड़ी कारखाने संचालित हैं। तीन दर्जन कारखाने माउथ ब्लोइंग कांच कारखाने हैं। इन्हें माउथ ब्लोइंग इसलिए कहा जाता है कि इन कारखानों में मजदूर कांच की नली में लपेटकर फूंक मारकर उपकरण तैयार करते हैं। इनके अलावा करीब दो दर्जन आॅटोमेटिक ग्लास इंडस्ट्रीज हैं जहां कम संख्या में श्रमिक काम करते हैं। यहां अधिकतर काम मशीनों से होता है।
चूड़ी और कांच उद्योग में करीब पांच लाख श्रमिक
फिरोजाबाद में तैयार होने वाली चूड़ी और कांच उद्योग में करीब पांच लाख श्रमिक काम करते हैं। इनमें से करीब दो लाख मजदूर कारखानों के अंदर काम करते हैं जबकि बाकी चूड़ी जुडाई, झलाई समेत फिनिशिंग का काम अपने-अपने घरों से करते हैं। लाॅक डाउन होने के बाद सभी कारखाने पूर्णतः बंद हैं। ऐसे में किसी प्रकार का प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा है।
फिरोजाबाद में तैयार होने वाली चूड़ी और कांच उद्योग में करीब पांच लाख श्रमिक काम करते हैं। इनमें से करीब दो लाख मजदूर कारखानों के अंदर काम करते हैं जबकि बाकी चूड़ी जुडाई, झलाई समेत फिनिशिंग का काम अपने-अपने घरों से करते हैं। लाॅक डाउन होने के बाद सभी कारखाने पूर्णतः बंद हैं। ऐसे में किसी प्रकार का प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा है।
एक दिन में फुंकती है तीन करोड़ की गैस
कारखानों में एक दिन के अंदर अनुमानित करीब तीन करोड़ की गैस फुंकती है। गेल गैस के अधिकारियों के मुताबिक फिरोजाबाद के कारखानों में एक दिन के अंदर करीब 1400 से 1500 घन मीटर गैस मीटर फुंकती है। जो बाजार में 18 से 20 रुपए घन मीटर के हिसाब से आती है।
कारखानों में एक दिन के अंदर अनुमानित करीब तीन करोड़ की गैस फुंकती है। गेल गैस के अधिकारियों के मुताबिक फिरोजाबाद के कारखानों में एक दिन के अंदर करीब 1400 से 1500 घन मीटर गैस मीटर फुंकती है। जो बाजार में 18 से 20 रुपए घन मीटर के हिसाब से आती है।
200 करोड़ से अधिक का नुकसान
कोरोना वायरसस को लेकर किए गए लाॅक डाउन में फिरोजाबाद के कारखानेदारों को करीब 200 करोड़ से अधिक का नुकसान बताया जा रहा है। यूपी जीएमएस उद्यमी संगठन राजकुमार मित्तल बताते हैं कि कारखाने बंद होने के बाद उन्हें काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह में दिल्ली के प्रगति मैदान में वल्र्ड फेयर का आयोजन किया जाता था जिसमें करोड़ों रुपए के आॅर्डर मिलते थे। इन्हीं आॅर्डर को हम सभी कारखानेदार पूरी साल तैयार कराते हैं लेकिन इस बार काफी माल तैयार रखा है और आॅर्डर कैंसिल हो चुके हैं। द गिलास इंडस्ट्रियल सिंडिकेट निदेशक हनुमान प्रसाद गर्ग बताते हैं कि फिरोजाबाद के कारखानेदारों को करीब 200 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है।
कोरोना वायरसस को लेकर किए गए लाॅक डाउन में फिरोजाबाद के कारखानेदारों को करीब 200 करोड़ से अधिक का नुकसान बताया जा रहा है। यूपी जीएमएस उद्यमी संगठन राजकुमार मित्तल बताते हैं कि कारखाने बंद होने के बाद उन्हें काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह में दिल्ली के प्रगति मैदान में वल्र्ड फेयर का आयोजन किया जाता था जिसमें करोड़ों रुपए के आॅर्डर मिलते थे। इन्हीं आॅर्डर को हम सभी कारखानेदार पूरी साल तैयार कराते हैं लेकिन इस बार काफी माल तैयार रखा है और आॅर्डर कैंसिल हो चुके हैं। द गिलास इंडस्ट्रियल सिंडिकेट निदेशक हनुमान प्रसाद गर्ग बताते हैं कि फिरोजाबाद के कारखानेदारों को करीब 200 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है।