बीच का रास्ता नहीं निकला
श्रम उपायुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी, जिसमें सेवायोजक कारखानेदारों के साथ-साथ श्रमिकों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी, जिसके बाद शासन ने पारिश्रमिक को 2400 से बढ़ाकर तीन हजार कर दिया था। मजदूरों की मांग थी कि शासनादेश के अनुसार उनकी निर्धारित न्यूनतम राशि 3000 देने की बात को लिखित में उन्हें दिया जाए। बुधवार रात में डीएम चंद्रविजय ने अपने कैंप कार्यालय में मजदूर नेताओं को बुलाकर उन्हें लिखित में दिया कि उन्हें न्यूनतम मजदूरी दिलाई जाएगी जो भी इसमें हीलाहवाली करेगा। उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। तब जाकर मजदूरों ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी।