राजबब्बर फिरोजाबाद जिले के टूंडला निवासी हैं। उनका बचपन टूंडला की गलियों में व्यतीत हुआ है। रेलवे कॉलोनी में उन्होंने बचपन के दिन देखे हैं। 2009 में जब वह चुनाव लड़ने के लिए टूंडला आए। तब सबसे पहले वह टूंडला विधानसभा क्षेत्र के गांव कोटकी पहुंचे थे। जहां रोड शो के दौरान उन्होंने अपनी जीप से उतरकर सिर पर कूड़ा लेकर जा रही एक वृद्धा के चरण स्पर्श किए और भीड़ में देहाती भाषा में बोले अम्मा मोए पहचानौ मैं तुम्हाए गांम को लल्लू हूंं राजबब्बर। टीबी पे आतो हूं। मोए जितावेंगी तो तुम्हाए गाम काजै बौत कछू कराउंगो।
जब राजबब्बर गांव की सड़कों पर देहाती भाषा बोलते हुए निकले तो गांव के विकास की आस को लेकर पूरा क्षेत्र उनका मुरीद हो गया था और इसका लाभ उन्हें लोकसभा चुनाव में मिला। राजबब्बर ने कई दशकों बाद कांग्रेस को जीत दिलाकर संजीवनी देने का काम किया था। उस दौरान उन्होंने सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को हरा दिया था।
वर्ष 2009 में ही अखिलेश यादव दो स्थानों से लोकसभा चुनाव लड़े थे। पहली सीट फिरोजाबाद और दूसरी कन्नौज थी। चुनाव लड़ने के दौरान उन्होंने घोषणा कर दी थी कि जिस लोकसभा से उन्हें अधिक मत प्राप्त होंगे। वह उस सीट को अपने पास रखेंगे जबकि दूसरी को छोड़ देंगे। कन्नौज में उन्हें अधिक मत प्राप्त हुए थे जबकि फिरोजाबाद में वह कुछ कम मतों से जीते थे। उसके बाद उन्होंने फिरोजाबाद लोकसभा सीट को छोड़ दिया था। उसके बाद ही उन्होंने अपनी पत्नी डिंपल यादव को यहां से चुनाव लड़ाया था।