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दिव्यांगता के अभिशाप को दूर कर देश में पहचान बना रहे ये दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ी, देखें वीडियो

locationफिरोजाबादPublished: Dec 24, 2018 01:20:33 pm

Submitted by:

arun rawat

— पारिवारिक तंगी भी नहीं डिगा सकी इनका हौंसला, विदेशों में खेलने जाएंगे क्रिकेट मैच।

Divyang Player

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फिरोजाबाद। आगे बढ़ने में दिव्यांगता भी आढ़े नहीं आती। इन दिव्यांग खिलाड़ियों ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है कि पंखों से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है। मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है।
कानपुर से खेलने आए मैच
टूंडला में आयोजित क्रिकेट टूनार्मेट में भाग लेने आई दिव्यांग टीम के कप्तान राजाबाबू शर्मा निवासी कानपुर ने सत्य कर दिया। उनका एक पैर बचपन में ही ट्रेन की चपेट में आने से कट गया था। पिता रेलवे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। उनका भी एक पैर ट्रेन की चपेट में आने से कट गया। पांच भाई तीन बहनों में राजाबाबू पांचवें नंबर की संतान हैं। पिता की पेंशन से ही परिवार का भरण-पोषण चल रहा है। बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। इसलिए कभी विकलांगता को खेल के आड़े नहीं आने दिया। पिता की मदद करने को काम करने का बन बनाया। कई जगह काम की तलाश में गए। लेकिन कोई भी काम देने को तैयार नहीं हुआ।
बहनों की हो गई मौत
शादी के बाद दो बहनों की बीमारी के चलते मौत हो गई। परिवार पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा। वह अब तक कई प्रदेशों में दिव्यांग टीमों के साथ खेल चुके हैं। फिल्मी हस्तियों के साथ भी मैच खेल चुके हैं। उनका चयन भारतीय विकलांग टीम में हो गया है। दो महीने बाद उनका मैच श्रीलंका व बांग्लादेश की दिव्यांग टीम से होना हैं। वह देश के लिए ट्रॉफी जीतकर लाना चाहते हैं। उनका कहना है कि मन में दृण विश्वास हो तो कोई भी काम कठिन नहीं हैं।
इन राज्यों के खिलाड़ी हैं दिव्यांग टीम में
उनकी टीम में कानपुर, मेरठ, दिल्ली, पंजाब, कश्मीर के दिव्यांग खिलाड़ी हैं। उन्होंने सभी दिव्यांग लोगों से अपील की कि अपनी दिव्यांगता को जीवन में नीरसता का कारण न बनने दें। हमें सदैव दिव्यांग टीम में ही खेलने का मौका मिलता था। लेकिन टूंडला में आकर हमें आयोजकों ने बिना दिव्यांग लोगों के साथ खेलने का मौका दिया। हमें मौका मिले तो हम कोई भी काम कर सकते हैं। हमें जरूरत है तो सिर्फ एक मौके की। जिससे हम अपने आप को साबित कर सकें। शुक्रवार को आगरा की टीम से हुए मुकाबले में उन्होंने कड़ी टक्कर दी। टीम ने 114 रन बनाएं। टीम को मात्र 19 रनों से हार का सामना करना पड़ा।
इस खिलाड़ी का नहीं है एक हाथ
गाजियाबाद निवासी कमल का एक हाथ दुर्घटना में कट गया था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी एक हाथ से ही गेंदबाजी शुरु कर दी। उन्होंने कहा कि मन में विश्वास हो तो जीवन में कोई काम नामुमकिन नहीं है। उनकी प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था। कमल ने एक हाथ होने के बावजूद आगरा की टीम के सलामी तीन बल्लेबाजों को पवेलियन भेजकर उनके छक्के छुड़ा दिए। राजा के साथ कमल का भी राष्ट्रीय टीम में चयन हुआ है।

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