अंग्रेजी शासन में बने थे आवास अंग्रेजी शासन काल में रेलवे ने कर्मचारियों के लिए टूंडला के लाइनपार में लोको कॉलोनी, रेलवे कॉलोनी व ऑफीसर कॉलोनी, शहर की ओर रैस्टकैंप कॉलोनी, सेन्ट्रल कॉलोनी, न्यू रेलवे कॉलोनी आदि का निर्माण कराया था। लाइनपार में 100 साल से अधिक होने पर 294 रेल आवासों के जर्जर होने पर उन्हें रेलवे ने कंडम घोषित कर दिया था तथा रेलकर्मचारियों से आवासों को खाली करा दिया था। रेलवे द्वारा उन आवासों को ध्वस्त न किए जाने पर अराजकतत्वों ने उन पर कब्जा कर लिया था।
संरक्षण में घेरे थे आवास इन अराजकतत्वों ने रेलवे के कुछ अधिकारियों के संरक्षण में इन आवासों में खुद रहते हुए लोगों को किराए पर उठा दिया था। अवैध रूप से रह रहे लोग रेलवे का पानी, बिजली भी फ्री में प्रयोग कर रहे थे। मामले की कई बार शिकायत हुई, किंतु अवैध रूप से रह रहे लोगों को बाहर नहीं किया जा सका था। कुछ समय पूर्व रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी व महाप्रबंधक एमसी चैहान को शिकायत की गयी थी। अधिकारियों ने गंभीरता से लेते हुए आवासों को ध्वस्त कराने के आदेश दिए थे।
डीटीएम ने तुड़वाए आवास डीटीएम समर्थ गुप्ता के निर्देशन में अधिकारियों की टीम एसएस अमर सिह, आईओडब्ल्यू सिन्हा, एईएन हैडक्वाटर डैगोर, एडीएन श्यामलाल रेलवे सुरक्षा बल, राजकीय रेलवे पुलिस व सिविल पुलिस को साथ लेकर लाइनपार पहुंच गयी। रेल अधिकारियों के साथ भारी पुलिस बल को देख आवासों में रह रहे लोगों में भगदड़ मच गयी। वे आवासों से अपने समान समेटकर भागने लगे। इस बीच रेलवे निर्माण विभाग के कर्मचारियों ने जेसीबी लगाकर आवासों को तोडऩा शुरू कर दिया। रेलवे ने इस दौरान करीब 80 आवासों को ध्वस्त कर दिया