जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं गणेश चतुर्थी
आचार्य पंडित मुकेश त्रिपाठी बताते हैं कि भगवान गणेश के जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश उत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिन के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है। यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। इस दिन श्रद्धालुजन बड़े ही धूमधाम के साथ शोभायात्रा निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा को सरोवर या नदी में विसर्जन के लिए ले जाते हैं।
आचार्य पंडित मुकेश त्रिपाठी बताते हैं कि भगवान गणेश के जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश उत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिन के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है। यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। इस दिन श्रद्धालुजन बड़े ही धूमधाम के साथ शोभायात्रा निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा को सरोवर या नदी में विसर्जन के लिए ले जाते हैं।
चन्द्रमा के न करें दर्शन
उन्होंने बताया कि गणेश चतुर्थी के दिन कभी भी चन्द्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। अन्यथा देखने वाले व्यक्ति पर कलंक का भय रहता है। यदि गलती से चन्द्रमा के दर्शन हो जाएं तो निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए-
उन्होंने बताया कि गणेश चतुर्थी के दिन कभी भी चन्द्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। अन्यथा देखने वाले व्यक्ति पर कलंक का भय रहता है। यदि गलती से चन्द्रमा के दर्शन हो जाएं तो निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए-
ये है मंत्र –
सिंहः प्रसेनमव धीत्सिंहो जाम्बवता हतः
सुकुमारक भारो दी स्तन हयैय स्यमन्तकः गणेश स्थापना का यह है शुभ मुहुर्त-
गणेश प्रतिमा को शुभ मुहूर्त में अपने घर पर विराजमान करना चाहिए। शुभ मुहुर्त- 6.30 से 8.30 तक, मध्यान्ह 12.30 से 3.30 तक शाम को 5.12 से 6.42 तक शुभ मुहुर्त में गणेश प्रतिमा को स्थापित किया जा सकता है।
सिंहः प्रसेनमव धीत्सिंहो जाम्बवता हतः
सुकुमारक भारो दी स्तन हयैय स्यमन्तकः गणेश स्थापना का यह है शुभ मुहुर्त-
गणेश प्रतिमा को शुभ मुहूर्त में अपने घर पर विराजमान करना चाहिए। शुभ मुहुर्त- 6.30 से 8.30 तक, मध्यान्ह 12.30 से 3.30 तक शाम को 5.12 से 6.42 तक शुभ मुहुर्त में गणेश प्रतिमा को स्थापित किया जा सकता है।