बच्चों को सुनाई थी अपने जीवन की कहानी
विद्यालय के अहमद अब्दुल्लाह बताते हैं कि जब वह पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल कलाम से मिलने के लिए विद्यालय के बच्चों के साथ गए थे, तब उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि डॉक्टर कलाम उन्हें इतना समय देंगे और इतनी अच्छी तरह से बात करेंगे। क्योंकि किसी भी राष्ट्रपति के पास इतना समय नहीं होता कि वो किसी सामान्य व्यक्ति को एक घंटे से भी अधिक समय दे सके। पूर्व राष्ट्रपति ने बच्चों के साथ अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को साझा किया था। किस प्रकार उनका नाम मिसाइलमैन पड़ा, यह भी उन्होंने बच्चियों को बताया था। स्कूल की बच्चियों से मिलकर वह काफी प्रसन्न हुए थे। उसके बाद उन्होंने अपने ही कर्मचारी को साथ भेजकर बच्चियों को राष्ट्रपति भवन दिखलाया था। पूर्व राष्ट्रपति के फोटो को देखकर आज भी बच्चे और विद्यालय का स्टाफ भावुक हो जाता है।
विद्यालय के अहमद अब्दुल्लाह बताते हैं कि जब वह पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल कलाम से मिलने के लिए विद्यालय के बच्चों के साथ गए थे, तब उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि डॉक्टर कलाम उन्हें इतना समय देंगे और इतनी अच्छी तरह से बात करेंगे। क्योंकि किसी भी राष्ट्रपति के पास इतना समय नहीं होता कि वो किसी सामान्य व्यक्ति को एक घंटे से भी अधिक समय दे सके। पूर्व राष्ट्रपति ने बच्चों के साथ अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को साझा किया था। किस प्रकार उनका नाम मिसाइलमैन पड़ा, यह भी उन्होंने बच्चियों को बताया था। स्कूल की बच्चियों से मिलकर वह काफी प्रसन्न हुए थे। उसके बाद उन्होंने अपने ही कर्मचारी को साथ भेजकर बच्चियों को राष्ट्रपति भवन दिखलाया था। पूर्व राष्ट्रपति के फोटो को देखकर आज भी बच्चे और विद्यालय का स्टाफ भावुक हो जाता है।
दो जोड़ी कपड़े में आए थे
विद्यालय के मैनेजर फसहेलमीर खान बताते हैं कि उनका स्वभाव बहुत ही मृदु था। उन्होंने आते ही सभी को बैठने के लिए बोला और छात्राओं के साथ फोटो खिंचाई। छात्राओं को कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बच्चों को बताया कि जीवन में मेहनत से किसी भी काम को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है। वो जब घर से निकले थे तो मात्र उनके पास दो जोड़ी कपडे थे। जिनके सहारे उन्होंने जीवन यापन किया था। उन्होंने बच्चों से कहा था कि देश के लिए यदि कुछ करना चाहते हो तो अपना एक उद्देश्य बनाओ और उसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत और लगन से काम करो। वह दिन दूर नहीं जब बुलंदी आपके कदम चूमेगी।
विद्यालय के मैनेजर फसहेलमीर खान बताते हैं कि उनका स्वभाव बहुत ही मृदु था। उन्होंने आते ही सभी को बैठने के लिए बोला और छात्राओं के साथ फोटो खिंचाई। छात्राओं को कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बच्चों को बताया कि जीवन में मेहनत से किसी भी काम को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है। वो जब घर से निकले थे तो मात्र उनके पास दो जोड़ी कपडे थे। जिनके सहारे उन्होंने जीवन यापन किया था। उन्होंने बच्चों से कहा था कि देश के लिए यदि कुछ करना चाहते हो तो अपना एक उद्देश्य बनाओ और उसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत और लगन से काम करो। वह दिन दूर नहीं जब बुलंदी आपके कदम चूमेगी।
देश को सदैव खलेगी उनकी कमी
प्रधानाचार्या मुसर्रत जहां कहती हैं कि डॉक्टर कलाम साहब सदैव हम सभी के अंदर जीवत रहेंगे। उनकी कमी सदैव इस देश को खलेगी। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन इस देश के लिए निकाल दिया। उनके जीवन के अनुभव आज भी हम सभी को प्रेरित करते हैं। वो बच्चों से अधिक प्रेम करते थे क्योंकि वो मानते थे कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। उन्होंने देश को ऐसी मिसाइलें दी हैं जिनकी आज कल्पना भी नहीं की जा सकती। ईमानदारी और देशभक्ति में उनका आज कोई तोड़ नहीं है।
प्रधानाचार्या मुसर्रत जहां कहती हैं कि डॉक्टर कलाम साहब सदैव हम सभी के अंदर जीवत रहेंगे। उनकी कमी सदैव इस देश को खलेगी। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन इस देश के लिए निकाल दिया। उनके जीवन के अनुभव आज भी हम सभी को प्रेरित करते हैं। वो बच्चों से अधिक प्रेम करते थे क्योंकि वो मानते थे कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। उन्होंने देश को ऐसी मिसाइलें दी हैं जिनकी आज कल्पना भी नहीं की जा सकती। ईमानदारी और देशभक्ति में उनका आज कोई तोड़ नहीं है।