फिरोजाबाद के अंदर करीब 150 से अधिक चूड़ी कारखाने संचालित हैं। इनमें हजारों की तादाद में मजदूर चूड़ी जुड़ाई का काम करते हैं। इनका परिवार चूड़ी जुड़ाई करके ही चलता है। करीब 14 घंटे काम करने के बाद एक मजदूर पूरे दिन में 200 से 250 रूपए ही कमा पाता है। इसलिए घर खर्च चलाने के लिए मजदूर अपनी पत्नी और बच्चों को भी इस काम में लगाते हैं। जिससे घर खर्च आसानी से चल सके। चूड़ी जुड़इया का मेहनताना करीब 300 रूपए किए जाने की मांग को लेकर मजदूर हड़ताल पर हैं।
आक्रोशित श्रमिकों ने हाईवे पर चूड़ी के तोड़ों में तोड़फोड़ की थी। चूड़ी व्यापारी सहमे हुए हैं। श्रमिक बस्तियों में सन्नाटा है। श्रमिक के परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। यूनियन के विवाद में हड़ताल लगातार लंबी खिंचती जा रही है। श्रमिकों का धैर्य भी टूटने लगा है। वहीं दूसरी ओर हजारों व्यापारियों की हड़ताल ने मुश्किल बढ़ा दी है। सहालग के बाद रमजान माह शुरू होने वाला है। रमजान माह के लिए बाहरी व्यापारियों ने करोड़ों के आर्डर बुक कराए थे, जो अभी तक पूरे नहीं हो सके हैं। ऐसी स्थिति में व्यापारियों को करोड़ों का नुकसान हो चुका है।
मुस्लिम समाज के लिए रमजान का महीना खास अहमियत रखता है। पूरे माह लोग रोजा रखते हैं। सुबह सेहरी(खाना)करने के बाद पूरे दिन कुछ नहीं खाते। पूरा वक्त नमाज और कुरान पढ़ने में गुजारते हैं। गलतियों से तोबा करते हैं, नेक काम कर बरकत की दुआ करते हैं। सूरज ढलने के बाद अल्लाह की इबादत कर इफ्तार (खाना) कर उस रोज का रोजा पूरा करते हैं। अंतिम रोजा के बाद ईद की खुशियां मनाते हैं।
शहर की हजीपुरा, तीसफुटा, असरफगंज, रसूलपुर जैसी मुस्लिम बस्तियों में इस बार हालात माकूल नहीं हैं। 21 दिनों से चल रही हड़ताल ने चूड़ी जुड़ाई श्रमिकों के घरों में मायूसी छाई हुई है। जमापूंजी खत्म हो चुकी है, अब तो पेट भरने के भी लाले पड़ने लगे हैं। मुस्लिम वर्ग के लोगों का कहना है कि घर में पैसे नहीं हैं। ऐसे में रोजा रख लेते हैं। 22 दिन से चल रही हड़ताल के कारण अब आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
चूड़ी उद्योग मजदूर संघ के आह्वान पर 15 अप्रैल से चूड़ी जुड़ाई श्रमिकों की मजदूरी में बढ़ोतरी की मांग को लेकर कामबंद हड़ताल है। जिसके कारण शहर करीब एक सैकड़ा कारखानों में चूड़ी का उत्पादन पूरी तरह से ठप है। जिला प्रशासन द्वारा इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। इसकी वजह से कारखानेदारों और मजदूर दोनों को नुकसान हो रहा है। द ग्लास ऑफ सिडीकेट के डायरेक्टर हनुमान प्रसाद गर्ग का कहना है कि इन 22 दिन के अंदर करीब 60 करोड़ रुपए के आस—पास नुकसान हुआ है। ऐसा ही रहा तो कारखानेदारों को और नुकसान उठाना पड़ सकता है।