ताज संरक्षित क्षेत्र में है फिरोजाबाद
ताज संरक्षित क्षेत्र (टीटीजेड) में फिरोजाबाद में नेचुरल गैस से संचालित करीब 200 से अधिक चूड़ी व कांच के कारखाने हैं। इन इकाइयों में प्रतिदिन करीब 15 लाख घनमीटर नेचुरल गैस खर्च होती है। पेट्रोलियम मंत्रालय कमेटी द्वारा हर साल अप्रैल व अक्टूबर में नेचुरल गैस के तीन स्लैब तय किए जाते हैं। पिछले दिनों चूड़ी इकाइयां बंद होने के कारण खपत कम थी। इसलिए गैस के रेट 13.50 रुपये घन मीटर के स्लैब से आ रहे थे। मार्च के आखिरी सप्ताह में पेट्रोलियम मंत्रालय की कमेटी की गत दिवस बैठक हुई, जिसमें एपीएम (एडमिनिस्ट्रेटिव प्राइज मैकेनिज्म) की 13.50 रुपये से बढ़ाकर 26 रुपये प्रति घनमीटर मीटर करने का निर्णय लिया है। इससे कांच उद्योग में प्रयोग होने वाली सस्ती दर की एपीएम गैस 50 फीसद से अधिक महंगी हो गई है।
ताज संरक्षित क्षेत्र (टीटीजेड) में फिरोजाबाद में नेचुरल गैस से संचालित करीब 200 से अधिक चूड़ी व कांच के कारखाने हैं। इन इकाइयों में प्रतिदिन करीब 15 लाख घनमीटर नेचुरल गैस खर्च होती है। पेट्रोलियम मंत्रालय कमेटी द्वारा हर साल अप्रैल व अक्टूबर में नेचुरल गैस के तीन स्लैब तय किए जाते हैं। पिछले दिनों चूड़ी इकाइयां बंद होने के कारण खपत कम थी। इसलिए गैस के रेट 13.50 रुपये घन मीटर के स्लैब से आ रहे थे। मार्च के आखिरी सप्ताह में पेट्रोलियम मंत्रालय की कमेटी की गत दिवस बैठक हुई, जिसमें एपीएम (एडमिनिस्ट्रेटिव प्राइज मैकेनिज्म) की 13.50 रुपये से बढ़ाकर 26 रुपये प्रति घनमीटर मीटर करने का निर्णय लिया है। इससे कांच उद्योग में प्रयोग होने वाली सस्ती दर की एपीएम गैस 50 फीसद से अधिक महंगी हो गई है।
कच्चा सामान हुआ था महंगा
कारखानेदारों का कहना है कि पहले कच्चा सामान महंगा हुआ था और अब गैस महंगी होने के बाद कांच के उत्पाद भी महंगे हो जाएंगे। कोरोना काल के बाद जैसे तैसे कांच उद्योग गति पकड़ रहा था कि अब महंगाई की वजह से कांच उद्योग की दम निकल रही है। गेल गैस लिमिटेड द्वारा मार्च के अंतिम सप्ताह में कांच व चूड़ी इकाइयों को 24.27 रुपये प्रति घनमीटर के हिसाब से बिल भेजे गए थे। अप्रैल में कांच इकाइयां शुरू होने के बाद दूसरा स्लैब लागू हो गया और अप्रैल के बिल 28.66 रुपये प्रति घन मीटर के हिसाब से भेजे गए हैं। बढ़ते गैस के दामों के बाद चूड़ी और कांच के उत्पाद काफी हद तक महंगे हो जाएंगे। घरों को सजाने के कांच के आइटम जो यहां कारखानों में तैयार होते हैं। उनकी कीमतें भी बढ़ जाएंगी। उद्योग से जुड़े संजय अग्रवाल का कहना है कि कांच उद्योग पहले से ही संकट के दौर से गुजर रहा है। कांच उत्पादन में प्रयोग होने वाले केमिकल, सोडा के बाद नेचुरल गैस के रेट काफी बढ़ गए हैं। एपीएम के गैस के रेट बढ़ने का असर नजर आने लगा है। अब खपत बढ़ने से रेट और बढ़ेंगे।
कारखानेदारों का कहना है कि पहले कच्चा सामान महंगा हुआ था और अब गैस महंगी होने के बाद कांच के उत्पाद भी महंगे हो जाएंगे। कोरोना काल के बाद जैसे तैसे कांच उद्योग गति पकड़ रहा था कि अब महंगाई की वजह से कांच उद्योग की दम निकल रही है। गेल गैस लिमिटेड द्वारा मार्च के अंतिम सप्ताह में कांच व चूड़ी इकाइयों को 24.27 रुपये प्रति घनमीटर के हिसाब से बिल भेजे गए थे। अप्रैल में कांच इकाइयां शुरू होने के बाद दूसरा स्लैब लागू हो गया और अप्रैल के बिल 28.66 रुपये प्रति घन मीटर के हिसाब से भेजे गए हैं। बढ़ते गैस के दामों के बाद चूड़ी और कांच के उत्पाद काफी हद तक महंगे हो जाएंगे। घरों को सजाने के कांच के आइटम जो यहां कारखानों में तैयार होते हैं। उनकी कीमतें भी बढ़ जाएंगी। उद्योग से जुड़े संजय अग्रवाल का कहना है कि कांच उद्योग पहले से ही संकट के दौर से गुजर रहा है। कांच उत्पादन में प्रयोग होने वाले केमिकल, सोडा के बाद नेचुरल गैस के रेट काफी बढ़ गए हैं। एपीएम के गैस के रेट बढ़ने का असर नजर आने लगा है। अब खपत बढ़ने से रेट और बढ़ेंगे।