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World Women Day: “सारी दुनियां का बोझ हम उठाते हैं” ऐसी ही एक महिला की कहानी, सुनिए उसी की जुबानी, देखें वीडियो

locationफिरोजाबादPublished: Mar 08, 2019 12:37:15 pm

Submitted by:

arun rawat

— फिरोजाबाद जिले की पहली महिला कुुली ने पति के बीमार होने के बाद शुरू किया था टूंडला रेलवे स्टेशन पर बोझा उठाने का काम।

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फिरोजाबाद। कुली फिल्म का यह गाना “सारी दुनियां का बोझ हम उठाते हैं।” आज इस महिला कुली पर उनके महिलाओं के लिए प्रेरणाश्रोत बना हुआ है जो बाहर काम करने में हिचकिचाती हैं। कुली फिल्म में अमिताभ बच्चन का बिल्ला नंबर सात सौ छियासी था तो इस महिला कुली का बिल्ला नंबर 553 है।
टूंडला क्षेत्र की है कुली
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में एक एक महिला ऐसी भी है जो न केवल घर का कामकाज करती है बल्कि बच्चों की आवश्कताओं की पूर्ति के लिए टूंडला रेलवे स्टेशन पर कुली का काम भी करती है। जिले में एक मात्र महिला कुली है जो यात्रियों के सामान को उठाकर उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने का काम करती है। उसके जज्बे को आज हर व्यक्ति सलाम करता नजर आ रहा है।
स्टेशन पर उठाती है सामान
दरअसल फिरोजाबाद जिले के गांव भौंडेला निवासी 38 वर्षीय निर्मला पर चार बच्चे हैं। इनमें तीन बेटी और एक बेटा है। करीब आठ वर्ष पूर्व उसके पति की तबियत खराब हो गई और परिवार की जिम्मेदारी निर्मला के कांधों पर आ गई। जब उसे आमदनी का कोई जरिया नहीं सूझा तो उसने टूंडला रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करना शुरू कर दिया। पहले तो परिवारीजनों ने महिला के कुली बनने पर ऐतराज जताया लेकिन उनके हौंसले और जज्बात को देखते हुए परिवार वालों ले सहमति दे दी। निर्मला का पति भी शिकोहाबाद रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करता है।
17 किलोमीटर आती है प्रतिदिन
महिला कुली गांव से रेलवे स्टेशन तक करीब 17 किलोमीटर की दूरी तय करके प्रतिदिन यहां आती है। वह बताती हैं कि स्टेशन आने से पहले वह बच्चों को तैयार कर स्कूल भेजती हैं। उनका खाना—पीना तैयार करती हैं। पति के लिए भोजन बनाकर घर का कामकाज करके स्टेशन आती हैं। यहां दोपहर तक कुली का काम करती हैं उसके बाद वापस घर पहुंच जाती हैं। स्कूल से बच्चों के वापस आने पर उनके स्कूल का काम कराती हैं और फिर शाम के भोजन का प्रबंध करती हैं।
महिलाओं को सिखा रही जिम्मेदारी
वह कहती हैं कि उनकी जैसी हिम्मत सभी महिलाओं में आए और अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए पति के साथ परिवार चलाने में उनकी मदद करने के लिए आगे आएं। उन्होंने कुली के काम को भी छोटा नहीं माना और न कभी लोगों की परवाह की कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे। आज वह महिलाओं के लिए प्रेरणाश्रोत बनी हुई हैं। वह हर रोज रेलवे स्टेशन पर यात्रियों का सामान सिर पर उठाकर गंतव्य तक पहुंचाने का काम करती हैं।
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