रेलवे आवासों में चल रही पूजा
रेलवे आवास रनिंग रूम के सामने शुरू हुए छठ पूजा महोत्सव को लेकर लोको पायलट रिकेश महानामा ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यह पर्व शुरू होता है और सप्तमी को इसका समापन होता है। पहले दिन नहाय-खाय के साथ इसका शुभारंभ हुआ। इस दिन व्रती स्नान कर अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी का भोजन करती है। इसमें सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है।
रेलवे आवास रनिंग रूम के सामने शुरू हुए छठ पूजा महोत्सव को लेकर लोको पायलट रिकेश महानामा ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यह पर्व शुरू होता है और सप्तमी को इसका समापन होता है। पहले दिन नहाय-खाय के साथ इसका शुभारंभ हुआ। इस दिन व्रती स्नान कर अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी का भोजन करती है। इसमें सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है।
पंचमी को ये होंगे कार्यक्रम
नहाय-खाय के दूसरे दिन पंचमी को व्रती उपवास कर शाम को रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर सूर्य भगवान की आराधना करती हैं। उसके बाद प्रसाद ग्रहण करती हैं। षष्ठी को उपवास कर व्रती टोकरी में ठेकुआ, फल, ईख समेत अन्य प्रसाद की सामग्री लेकर नदी या तालाब में जाकर सूर्य को अघ्र्य देती हैं। सप्तमी की सुबह सूर्यदेव को अघ्र्य देने के साथ ही अन्न जल ग्रहण कर इसका समापन होता है। रविवार को सूर्यदेव को अघ्र्य देने के साथ ही व्रतियों का व्रत प्रारंभ हो गया। बिहार से यहां आकर रह रहे लोगों ने पहले दिन परिवार समेत छठी देवी की घरों में स्थापना कर पूजा अर्चना की।
नहाय-खाय के दूसरे दिन पंचमी को व्रती उपवास कर शाम को रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर सूर्य भगवान की आराधना करती हैं। उसके बाद प्रसाद ग्रहण करती हैं। षष्ठी को उपवास कर व्रती टोकरी में ठेकुआ, फल, ईख समेत अन्य प्रसाद की सामग्री लेकर नदी या तालाब में जाकर सूर्य को अघ्र्य देती हैं। सप्तमी की सुबह सूर्यदेव को अघ्र्य देने के साथ ही अन्न जल ग्रहण कर इसका समापन होता है। रविवार को सूर्यदेव को अघ्र्य देने के साथ ही व्रतियों का व्रत प्रारंभ हो गया। बिहार से यहां आकर रह रहे लोगों ने पहले दिन परिवार समेत छठी देवी की घरों में स्थापना कर पूजा अर्चना की।