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Independence Day 2018: आजादी के आंदोलन में महिलाओं ने छुड़ा दिए थे अंग्रेजों के छक्के

locationफिरोजाबादPublished: Aug 12, 2018 10:53:46 am

– अलग-अलग बैरकों में रखे गए थे पति और पत्नी, अंग्रेजों की यातनाओं से तंग आकर जेल में ही पति ने त्याग दिए थे प्राण।

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फिरोजाबाद। आज युवा पीढ़ी भले ही फिरोजाबाद का आजादी में योगदान नहीं जानती हो और न उनको पढ़ने का समय हो लेकिन जो भी किस्से जुड़े हुए हैं, वे रोचक हैं और कई रौंगटे तक खड़ा कर देने वाले हैं। उन्हें शायद ही पता हो कि देश की आजादी में सुहागनगरी की महिलाओं का भी योगदान रहा हैं उन्होंने अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे।
सैकडों स्वयंसेवक गए थे जेल
सन 1932 में सत्याग्रह आंदोलन एक बार फिर छिड़ गया। सैकड़ों स्वयंसेवक जेल गए। मौजा राजपुर के मेवाराम उर्फ ओमप्रकाश नागर अपनी शादी से लौटकर नवविवाहिता फूलमती देवी के साथ लौटकर आ रहे थे। सत्याग्रह के आंदोलन में वे सपत्नी कूद पड़े। मेवाराम को अंग्रेजों ने खीरी जेल में डाल दिया। वहीं, पत्नी फूलमती को फतेहगढ़ जेल में भिजवा दिया। जेल की यातनाओं से पीड़ित होकर मेवाराम ने 15 मई 1933 को अपने प्राण त्याग दिए थे।
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खादी भंडार की स्थापना हुई
लोगों में विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार करने एवं स्वदेशी वस्तुओं के प्रति प्रेम जागृत करने के लिए खादी आश्रम की स्थापा की गई थी। इस कार्य में उन दिनों राधारमण, प्यारे लाल राठौर और सोमराज पालीवाल ने अहम भूमिका निभाई थी।
गुप्त संगठन से फूंका था बिगुल
जब कांग्रेस को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया तो आतीपुर में गुप्त रूप से एक संगठन की छावनी खोली गई। ग्रामों में प्रचार के लिए झम्मन लाल आतीपुर, भोजराज सिंह, भूप सिंह, शर्मा रूपसपुर, गंधर्व सिंह गुदाऊं, रामचरण गुप्त इटौरा, तुलसीराम कायथा, कालीचरण गुप्ता, रामकृष्ण कोलामई, रामपाल गुप्ता ऊंदनी आदि निकल पड़े। सत्याग्रह का घर घर इन्होंने बिगुल फूंका।
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