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जीत के स्वाद में ‘मुखिया’ की हार का कंकड़

locationफिरोजाबादPublished: Jan 30, 2016 10:43:00 am

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नगर परिषद चुनाव की खदबदाती खिचड़ी पकने के बाद भाजपा की थाली में जीत का स्वाद आया है। सभापति पद का चुनाव शनिवार को होगा। यह सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है।

नगर परिषद चुनाव की खदबदाती खिचड़ी पकने के बाद भाजपा की थाली में जीत का स्वाद आया है। सीटों में इजाफे का ‘घी’ भी पड़ा है और अबकी बार सभापति-उपसभापति पद पर काबिज होने के मौके ने भी इसे और लजीज बनाया है। वार्ड नौ में हॉट सीटकी हार के नमक ने थोड़ा स्वाद बिगाड़ दिया। कांग्रेस की थाली में अपने आंकड़े की पौष्टिकता है, विपक्षियों की बेअसर गुटबाजी की फूंक और दो निर्दलियों की जीत अपने मुंह में लेने की लपलपाहट। फिर भी थाली भाजपा की भारी ही है, लेकिन दूसरे क्रम का मतदान होने तक मजबूती से संभालनी होगी। सभापति पद का चुनाव शनिवार को होगा। यह सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है।

ब्राह्मण सभापति, जैन उपसभापति!
नगर परिषद के नए सभापति पद पर ब्राह्मण (पालीवाल) प्रत्याशी काबिज हो सकता है, वहीं उपसभापति पद जैन को दिया जा सकता है। इसमें धोइन्दा क्षेत्र का पक्ष मजबूत दिख रहा है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने कुमावत समाज के छह प्रत्याशियों को टिकट दिए थे, जिनमें से चार उ?मीदवार जीतकर आए हैं, लेकिन इस समाज को पिछली बार पंचायती राज चुनाव में प्रधान पद दिया गयाथा। लिहाजा, कुमावत समाज का दावा कमजोर हो गया है। पार्टीने ब्राह्मण प्रत्याशियों को टिकट कम दिए, लेकिन सभापति पद सामान्य होने से ब्राह्मण वर्ग का दावा मजबूत होता नजर आ रहा है। पालीवाल समाज के तीन प्रत्याशी जीते हैं, जिनमें से तीनों ही दो या इससे अधिक बार जीते हैं। एक दावेदार के परिवार को पार्टीने पहले से कई जि?मेदारियां दे रखी हैं। ऐसे में हो सकता है कि उन्हें संतोष करना पड़े। जैन समाज के तीन दावेदार हैं। इनमें दो पहली बार जीते, जबकि एक पहले से पार्षद है। जैन समाज के नए चेहरे को मौका दिया जा सकता है।

क्षेत्रवाद भी महत्वपूर्ण
शहर दो हिस्सों, कांकरोली और राजनगर में बंटा है। क्षेत्रवाद का भी ध्यान में रखा जाएगा। भाजपा को राजनगर में अपेक्षाकृत कम सफलता मिली है। उपसभापति पद का फैसला सर्वस?मति से भी किया जा सकता है। इसके लिए पार्टीकी बैठक हो सकती है।

इनके नामों पर चर्चा
1.सुरेश पालीवाल
मजबूत-कमजोर पक्ष : पिछली बार सर्वाधिक मतों से और इस बार दूसरी सबसे बड़ी जीत। मंत्री के करीबी, विश्वस्त और अपने क्षेत्र में लोकप्रिय।
2.राजेश पालीवाल
मजबूत-कमजोर पक्ष : दूसरी बार जीतकर आए। पिता भानु पालीवाल वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष, बड़े भाई जगदीश युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष।
3.जगदीश पालीवाल
मजबूत-कमजोर पक्ष : मतदान के तुरंत बाद पार्टीअलग धड़े के साथ भूमिगत होने से मंत्री खेमे में नाराजगी। चार में से एक प्रत्याशी की हार से जरूरी आंकड़े पर फर्क नहीं। धोइन्दा क्षेत्र के तीन पार्षद ही उनके साथ।
1.उत्तम कावडिय़ा
मजबूत-कमजोर पक्ष : पहली बार जीते हैं। कांग्रेस से सभापति पद के एक दावेदार प्रफुल्ल बड़ाला हो हराकर चौंकाया।
2.विजय बहादुर जैन
मजबूत-कमजोर पक्ष : पहली बार जीते हैं। मंत्री खेमे से हैं और पड़ोसी भी। सहयोगी स्वभाव और मिलनसार। राजसमंद मूल के नहीं हैं, पर जीत गए।
3. हि?मत मेहता
मजबूत-कमजोर पक्ष : दूसरी बार पार्षद बने हैं। राजनगर में समाज का प्रतिनिधित्व मजबूत करने में सहायक। जीत में समाज की भूमिका रही।
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