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आजादी की जंग में क्रांतिकारियों ने छुड़ा दिए थे अंग्रेजी सेना के छक्के, जला दिया था रेलवे स्टेशन

locationफिरोजाबादPublished: Aug 14, 2020 12:58:09 pm

Submitted by:

arun rawat

देश की आजादी यूं ही नहीं मिली थी। इसके लिए लाखों लोगों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था। इस आजादी की जंग में बच्चों और महिलाओं के अलावा बुजुर्गो ने भी अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था।

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फिरोजाबाद। जिस समय देश में आजादी को लेकर आंदोलन तेज हो गया था। उस समय क्रांतिकारियों और देश भक्तों ने अपने परिवार को एक तरफ कर देश को आजाद करने का बीड़ा उठाया था। देश की आजादी के लिए कइयों ने सत्याग्रह किया था। स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए योगदान को आज जिले का हर बच्चा याद करता है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कालीचरन गुप्ता ने अंग्रेजों के चंगुल से देश को आजाद कराने के लिए कई बार जेल यात्राएं की। वह 18 मार्च 1941 को व्यक्तिगत सत्याग्रह करते जेल गए थे। आठ अप्रैल 1941 को उन्हें आठ माह की कैद व 50 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। जुर्माना अदा न देने पर चार माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ी थी। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 17 सितंबर 1942 को वह गिरफ्तार हुए। वह 1946 तक जेल में कैद रहे। सेनानी के पुत्र सुरेश चंद्र गुप्ता एडवोकेट ने बताया कि उनके पिता कालीचरन ने आगरा सेंट्रल जेल में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भी रहे। इसके अलावा उन्होंने फतेहगढ़ जेल में कई साल बिताए थे।
अंग्रेजों ने लगाए थे जयकारे
अंग्रेजों से परेशान देशवासियों को आजादी दिलाने के लिए देशभक्त हिरनगांव स्टेशन को 17 अगस्त 1942 को फूंक चुके थे। इसमें स्वतंत्रता सेनानी भूपसिंह ने भी बड़ी क्रांति छेड़ दी थी। अंग्रेजों के फैसले को कैसे डगमगाया जाए, इसकी अगली रणनीति गांव गुंदाऊ में तैयार हो रही थी। तभी तानाशाह दरोगा इमदाद खां और तहसीलदार अंग्रेजी सेना के साथ इन्हें पकड़ने को आ गए थे। सेना भी बड़ी थी और हथियार से लैस होकर आई थी। किंतु देशभक्ति के जज्बे ने फिरंगियों के हथियार गिरवा लिए थे। स्वतंत्रता सेनानी ने अंग्रेेजों से महात्मा गांधी की जय के नारे लगवाए थे। काफी प्रयास के बाद स्वतंत्रता सेनानी भूपसिंह को आगरा की जेल में भेज दिया गया। पहले स्वतंत्रता सेना भूपसिंह के नाम पर एक स्टेडियम था। बाद में स्टेडियम से स्वतंत्रता सेनानी का नाम हटा दिया गया और दाऊदयाल स्टेडियम कर दिया गया। इसके साथ ही देश की आजादी में मक्खनपुर के राजाबाबू ने भी अंग्रेजों ने छक्के छुड़ा दिए थे। इनके अलावा और भी ऐसे क्रांतिकारी फिरोजाबाद में हुए जिन्होंने अंग्रेजों को भगाने के लिए सत्याग्रह शुरू किया और अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ा दिए।
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