अंग्रेजों से परेशान देशवासियों को आजादी दिलाने के लिए देशभक्त हिरनगांव स्टेशन को 17 अगस्त 1942 को फूंक चुके थे। इसमें स्वतंत्रता सेनानी भूपसिंह ने भी बड़ी क्रांति छेड़ दी थी। अंग्रेजों के फैसले को कैसे डगमगाया जाए, इसकी अगली रणनीति गांव गुंदाऊ में तैयार हो रही थी। तभी तानाशाह दरोगा इमदाद खां और तहसीलदार अंग्रेजी सेना के साथ इन्हें पकड़ने को आ गए थे। सेना भी बड़ी थी और हथियार से लैस होकर आई थी। किंतु देशभक्ति के जज्बे ने फिरंगियों के हथियार गिरवा लिए थे। स्वतंत्रता सेनानी ने अंग्रेेजों से महात्मा गांधी की जय के नारे लगवाए थे। काफी प्रयास के बाद स्वतंत्रता सेनानी भूपसिंह को आगरा की जेल में भेज दिया गया। पहले स्वतंत्रता सेना भूपसिंह के नाम पर एक स्टेडियम था। बाद में स्टेडियम से स्वतंत्रता सेनानी का नाम हटा दिया गया और दाऊदयाल स्टेडियम कर दिया गया। इसके साथ ही देश की आजादी में मक्खनपुर के राजाबाबू ने भी अंग्रेजों ने छक्के छुड़ा दिए थे। इनके अलावा और भी ऐसे क्रांतिकारी फिरोजाबाद में हुए जिन्होंने अंग्रेजों को भगाने के लिए सत्याग्रह शुरू किया और अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ा दिए।