जसराना में स्थित मां कामाख्या देवी के मंदिर की अनोखी कहानी है। इस मंदिर में विराजमान मां कामाख्या साल में एक दिन विशेष रूप से दर्शन देती हैं। बताया जाता है कि भगवान शिव की पत्नी सती के शरीर के विभिन्न अंग अलग-अलग स्थानों पर गिरे थे। इन स्थानों पर शक्तिपीठ का निर्माण किया गया। उनकी योनि असम में गिरी थी जहां कामाख्या देवी मंदिर बनाया गया। उसी मंदिर की तर्ज पर फिरोजाबाद के जसराना में भी इस कामाख्या देवी का मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर में स्थापित देवी को हर साल जून के महीने में तीन दिन तक माहवारी पीड़ा होती है। उनकी सेवा के लिए सात महिलाओं की टीम को लगाया जाता है। जो सात दिनों तक मां के साथ रहकर उबला भोजन करती हैं। तीन दिन तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। उसके बाद एक दिन के लिए मंदिर को दर्शनों के लिए खोला जाता है।
बताया जाता है कि तीन दिन माहवारी के दौरान सफेद कपड़े से मां को ढंका जाता है। जिसमें रक्त के छींटे आते हैं। इस कपड़े को प्रसाद के तौर पर श्रद्धालुओं को बांटा जाता है। मां की सेवा के लिए विभिन्न जिलों से महिलाएं आती हैं। आज अम्बुवाची महोत्सव के तहत सुबह से ही मां के कपाट खोले गए।
मां कामाख्या देवी के दर्शनों के लिए आज सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। दिन निकलते ही श्रद्धालु मंदिर के बाहर लाइन में लग गए। एक के बाद एक करके श्रद्धालुओं की लाइन बढ़ती चली गई। मां के दर्शनों के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं के मन में मां के दर्शनों को लेकर उमंग दिखाई दी। श्रद्धालुओं का कहना है कि मां की महिमा अपरंपार है। इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मां कर पूजा अर्चना करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।