1999 में हेम सिंह हुए शहीद फिरोजाबाद जिले के एका के गांव नगला खेड़ा निवासी हेम सिंह पुत्र रामेश्वर दयाल यादव का जन्म एक फरवरी 1970 को हुआ था। गांव में पढ़ाई के बाद एटा के जवाहरलाल पीजी कालेज से बीए के फाइनल करने से पहले दो मार्च 1988 को फौज में भर्ती हुए थे। रानीखेत में ट्रेनिंग के बाद 1988 में श्रीलंका के बार्डर पर तैनाती हुई। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान लाइनपैरा कमांडों के रूप में तैनात किया गया। पाक सैनिकों को धूल चटाते हुए लांस नायक हेम सिंह एक जुलाई 1999 को शहीद हो गए थे।
Kargil Vijay Diwas: कारगिल में दुश्मनों को धूल चटाने वाले ये नायक, जरा याद करो कुर्बानी सरकार ने किए थे वादे अमर शहीद हेम सिंह का शव आने पर गांव में अनेक वादे किए गए। शहीद के भाई सुघर सिंह ने बताया कि वो खुद कारगिल में तैनात रहे उनकी अंगुली में चोट आई थी। पूरा परिवार देश के लिए मर मिटने को तैयार है। क्योंकि देश हमारा है। रक्षा हम करेंगे। कोई और नहीं। 15 अगस्त एवं 26 जनवरी को जो सम्मान इस परिवार को मिलना चाहिए वो नहीं दिया जाता। गांव को ही जाने वाली सड़क नहीं बनीं।
सतीशचन्द्र बघेल भी हुए थे शहीद कारगिल युद्ध में शहीद हुए मरसलगंज निवासी सतीशचंद्र बघेल पुत्र भोजराज बघेल के परिजनों को भूमि मिली लेकिन जिला प्रशासन ने टुकड़ों में दी। शहीद के पिता भोजराज बघेल को दर्द है कि करीब 19 वर्ष बीत गए, लेकिन जिला प्रशासन भूमि को एकत्रित नहीं करा सका। फरिहा से मरसलगंज मार्ग को अमर शहीद सतीशचंद्र बघेल मार्ग की टूटी पट्टिका को नहीं लगवाया गया। शहीद सतीश की धर्मपत्नी मीना देवी बघेल अपनी बेटी पूजा के साथ आगरा के शहीदनगर काॅलोनी में बहन संगीता देवी के यहां रहती हैं।
वादा भी नहीं किया पूरा मीना देवी ने कहा कि पति की प्रतिमा खुद की भूमि पर लगवाई, पार्क को सुधार को एक लाख रुपये देने की बात कही थी परंतु पार्क को नहीं सुधारा गया। शहीद के पिता भोजराज सिंह के लिए पेंशन 16 माह तक मिली। इसके बाद बंद कर दी गई। शहीद के भाई बबलू बघेल मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करते हैं। पिता भोजराज बघेल कहते हैं कि आज भी पुत्रवधू मीना देवी बघेल 20 जून को बेटे का शव आने के कारण प्रतिवर्ष भंडारा प्रतिमा स्थल पर करते हैं। 26 जनवरी एवं 15 अगस्त को ध्वजारोहण करने वो आगरा से आती हैं।