पचोखरा क्षेत्र का गांव है नगला गंगाराम
तहसील से करीब आठ किलोमीटर दूर तहसील का गांव नगला गंगाराम। जहां कहने को पक्की सड़क, सरकारी स्कूल और बिजली भी है। पचोखरा और देवखेड़ा, सलेमपुर, एटा गांव होते हुए आगरा की सीमा तक जाने वाले इस रास्ते के बीच में बसा है यह गांव। वैसे तो यह गांव समरसता का संदेश देता है। इस गांव में सभी वर्ग के लोग निवास करते हैं। अधिकारियों की अनदेखी के चलते गांव में नारकीय हालात हैं। गांव के निन्नूमल बताते हैं कि गांव में गंदे पानी की निकासी के लिए नालियां बनी हुई हैं लेकिन सफाई न होने के कारण नालियां चौक हैं।
तहसील से करीब आठ किलोमीटर दूर तहसील का गांव नगला गंगाराम। जहां कहने को पक्की सड़क, सरकारी स्कूल और बिजली भी है। पचोखरा और देवखेड़ा, सलेमपुर, एटा गांव होते हुए आगरा की सीमा तक जाने वाले इस रास्ते के बीच में बसा है यह गांव। वैसे तो यह गांव समरसता का संदेश देता है। इस गांव में सभी वर्ग के लोग निवास करते हैं। अधिकारियों की अनदेखी के चलते गांव में नारकीय हालात हैं। गांव के निन्नूमल बताते हैं कि गांव में गंदे पानी की निकासी के लिए नालियां बनी हुई हैं लेकिन सफाई न होने के कारण नालियां चौक हैं।
चुनाव में याद आता है गांव
चुनाव के समय ही सभी को हमारे गांव की याद आती है। सब यहां आकर झूठे वादे करके चले जाते हैं। लोकेन्द्र बोले कि गांव में वैसे तो किसी चीज की कमी नहीं है यदि नालियों की सफाई हो जाए तो निकलने में सुगमता रहेगी। अशोक कुमार बोले अभी तो बारिश भी नहीं और गांव का रास्ता तलैया बन गया। अब कहां जाकर राएं अपना दुखड़ा। जितेन्द्र कुमार ने बताया कि हर समय पानी भरा रहने के कारण स्कूल जाने वाले बच्चों को इसी गंदे पानी से होकर निकलना पड़ता है।
चुनाव के समय ही सभी को हमारे गांव की याद आती है। सब यहां आकर झूठे वादे करके चले जाते हैं। लोकेन्द्र बोले कि गांव में वैसे तो किसी चीज की कमी नहीं है यदि नालियों की सफाई हो जाए तो निकलने में सुगमता रहेगी। अशोक कुमार बोले अभी तो बारिश भी नहीं और गांव का रास्ता तलैया बन गया। अब कहां जाकर राएं अपना दुखड़ा। जितेन्द्र कुमार ने बताया कि हर समय पानी भरा रहने के कारण स्कूल जाने वाले बच्चों को इसी गंदे पानी से होकर निकलना पड़ता है।
घर से निकलना हुआ मुश्किल
अब तो घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। हालात हैं कि बदलने का नाम नहीं ले रहे। राकेश कुमार का कहना है कि ऐसे हालात में किस वोट दें और क्यों दें कुछ समझ नहीं आ रहा है। सोनू, प्रियंका, कमलेश देवी बोलीं कि हमाई कोई सुनतूइ नाएं तो वोट चैं दें। देवेन्द्र सिंह, महेश कुमार और पप्पू ने कहा कि वोट तो देंगे लेकिन इस बार सोच समझकर मत का प्रयोग करेंगे।
अब तो घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। हालात हैं कि बदलने का नाम नहीं ले रहे। राकेश कुमार का कहना है कि ऐसे हालात में किस वोट दें और क्यों दें कुछ समझ नहीं आ रहा है। सोनू, प्रियंका, कमलेश देवी बोलीं कि हमाई कोई सुनतूइ नाएं तो वोट चैं दें। देवेन्द्र सिंह, महेश कुमार और पप्पू ने कहा कि वोट तो देंगे लेकिन इस बार सोच समझकर मत का प्रयोग करेंगे।
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