राजनीति के थे सुल्तान
3 जनवरी 1914 को गुड़गांव हरियाणा के छोटे से गांव जनौला में जन्में पूर्व सांसद चौ. मुल्तान सिंह की राजनीति का सभी लोहा मानते थे। यही कारण रहा कि राजनीति में कोई उन्हें पटखनी नहीं दे पाया। चौ.मुल्तान सिंह पर रेल विभाग में दिल्ली से हावड़ा तक चलने वाले कोयला इंजन में कोयला लादने व जले हुए कोयले को उतारने का ठेका था। इस कारण वह मय परिवार के 1940 में हरियाणा से टूंडला आकर बस गए थे। तब से उनका परिवार आज भी टूंडला में ही निवास करता है।
3 जनवरी 1914 को गुड़गांव हरियाणा के छोटे से गांव जनौला में जन्में पूर्व सांसद चौ. मुल्तान सिंह की राजनीति का सभी लोहा मानते थे। यही कारण रहा कि राजनीति में कोई उन्हें पटखनी नहीं दे पाया। चौ.मुल्तान सिंह पर रेल विभाग में दिल्ली से हावड़ा तक चलने वाले कोयला इंजन में कोयला लादने व जले हुए कोयले को उतारने का ठेका था। इस कारण वह मय परिवार के 1940 में हरियाणा से टूंडला आकर बस गए थे। तब से उनका परिवार आज भी टूंडला में ही निवास करता है।
1962 में बने विधायक
1945 में पहली बार वह टूंडला टाउन एरिया के अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद 1957 में फिर से अध्यक्ष बने। सबसे पहले 1962 में दयालबाग विधानसभा से लखनऊ का रास्ता तय किया, जो दयालबाग-टूंडला व बरौली अहीर क्षेत्र को मिलाकर बनाई गई थी। 1967 व 1969 में टूंडला विधानसभा से जीत हासिल की। 1974 में टूंडला विधानसभा रिजर्व हो जाने के कारण दयालबाग से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
1945 में पहली बार वह टूंडला टाउन एरिया के अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद 1957 में फिर से अध्यक्ष बने। सबसे पहले 1962 में दयालबाग विधानसभा से लखनऊ का रास्ता तय किया, जो दयालबाग-टूंडला व बरौली अहीर क्षेत्र को मिलाकर बनाई गई थी। 1967 व 1969 में टूंडला विधानसभा से जीत हासिल की। 1974 में टूंडला विधानसभा रिजर्व हो जाने के कारण दयालबाग से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
जलेसर लोकसभा से 1977 में बने सांसद
जलेसर लोकसभा से संसद का रास्ता तय किया। उसके बाद 1980 में फिर से जलेसर सीट से विजय श्री हासिल की। 1984 में कांग्रेस से चुनाव लड़े कैलाश यादव ने उन्हें पटखनी देने में सफल रहे, लेकिन 1989 में उन्होंने फिर से जीत का सिलसिला बरकरार रखा। 23 सितंबर, 1990 में सांसद रहते हरियाणा में यादव कुल के अमर शहीद राव तुलाराम के शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई थी।
जलेसर लोकसभा से संसद का रास्ता तय किया। उसके बाद 1980 में फिर से जलेसर सीट से विजय श्री हासिल की। 1984 में कांग्रेस से चुनाव लड़े कैलाश यादव ने उन्हें पटखनी देने में सफल रहे, लेकिन 1989 में उन्होंने फिर से जीत का सिलसिला बरकरार रखा। 23 सितंबर, 1990 में सांसद रहते हरियाणा में यादव कुल के अमर शहीद राव तुलाराम के शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई थी।
किसानों की लड़ाई में कई बार गए जेल
पूर्व सांसद ने राजनीतिक काल में उन्होंने सदैव अपने कार्यकर्ताओं को सबसे ऊपर रखा, विधानसभा से लेकर लोकसभा तक सिर्फ किसानों के लिए आंदोलन किए। उन्होंने किसानों की लड़ाई लड़ी, यही कारण रहा कि उन्हें किसान हित में आंदोलन करने के चलते कई बार जेल भी जाना पड़ा। दयालबाग विधानसभा का क्षेत्र बरौली अहीर यमुना के उस पार होने के कारण वह अपने घोड़े से चुनाव प्रचार करने जाते थे। घोड़े से ही यमुना को पार किया जाता था। जहां भी मुल्तान सिंह जाते, उनके चाहने वालों की भीड़ लग जाती थी।
पूर्व सांसद ने राजनीतिक काल में उन्होंने सदैव अपने कार्यकर्ताओं को सबसे ऊपर रखा, विधानसभा से लेकर लोकसभा तक सिर्फ किसानों के लिए आंदोलन किए। उन्होंने किसानों की लड़ाई लड़ी, यही कारण रहा कि उन्हें किसान हित में आंदोलन करने के चलते कई बार जेल भी जाना पड़ा। दयालबाग विधानसभा का क्षेत्र बरौली अहीर यमुना के उस पार होने के कारण वह अपने घोड़े से चुनाव प्रचार करने जाते थे। घोड़े से ही यमुना को पार किया जाता था। जहां भी मुल्तान सिंह जाते, उनके चाहने वालों की भीड़ लग जाती थी।
मुलायम आते थे आशीर्वाद लेने
पूर्व सांसद चौ. मुल्तान सिंह से मुलायम सिंह यादव भी राजनीति के गुर सीखते थे। चौ. चरण सिंह के करीबियों में पहले मुल्तान सिंह थे बाद में मुलायम सिंह यादव का नाम आता था। मुलायम सिंह कई बार मुल्तान सिंह से आशीर्वाद लेने आए थे।
पूर्व सांसद चौ. मुल्तान सिंह से मुलायम सिंह यादव भी राजनीति के गुर सीखते थे। चौ. चरण सिंह के करीबियों में पहले मुल्तान सिंह थे बाद में मुलायम सिंह यादव का नाम आता था। मुलायम सिंह कई बार मुल्तान सिंह से आशीर्वाद लेने आए थे।