जैन मंदिर के पुजारी पंकज जैन बताते हैं कि करीब 300 वर्ष पूर्व जैन समाज के राजा चन्द्रसेन यहां राज्य करने आए थे। उन्हीं ने मंदिर का निर्माण कराया। फिरोजाबाद शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित चन्द्रवाड़ नामक जगह का इतिहास भी राजा चंद्रसेन से जुड़ा हुआ है। राजा चन्द्रसेन क्षेत्र में काफी प्रभावशाली लोगों में गिने जाते थे इसलिए आस—पास के इलाकों में उनका नाम कुछ ही समय में मशहूर हो गया।
वह बताते हैं कि मुहम्मद गौरी ने राजा चन्द्रसेन पर आक्रमण कर दिया था। उसने सभी जैन मंदिरों को तोड़ दिया था। केवल एक यही मंदिर शेष रह गया था। इस मंदिर को मुहम्मद गौरी हाथ भी नहीं लगा सका था और नतमस्तक होकर यहां से वापस लौट गया था। इस मंदिर की खासियत है कि इस पूरे मंदिर में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है। मंदिर को चूने से तैयार कराया गया है। मंदिर काफी मजबूत है।