उपद्रव में घिर गए थे कांस्टेबल अजय
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में कई जगह उपद्रवियों ने हिंसा की घटनाओं को अंजाम दिया था। ऐसी ही एक घटना 20 दिसंबर, 2019 फिरोजाबाद में हुई थी. जिसमें एक पुलिसकर्मी अजयकुमार इन उपद्रवियों के बीच घिर गए थे। भीड़ ने अजय कुमार को पीटना शुरू कर दिया था, इसी बीच हाजी कदीर पहुंचे और उन्होंने अजय कुमार को भीड़ से बचाकर बाहर निकाला। अपने घर ले जाकर इलाज किया। भीड़ की पिटाई की वजह से अजय कुमार को हाथों और सिर में चोट आई थी। इसके बाद जब हालात काबू में हुए तो कादिर ने अजय कुमार को पुलिस स्टेशन छोड़ा।
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में कई जगह उपद्रवियों ने हिंसा की घटनाओं को अंजाम दिया था। ऐसी ही एक घटना 20 दिसंबर, 2019 फिरोजाबाद में हुई थी. जिसमें एक पुलिसकर्मी अजयकुमार इन उपद्रवियों के बीच घिर गए थे। भीड़ ने अजय कुमार को पीटना शुरू कर दिया था, इसी बीच हाजी कदीर पहुंचे और उन्होंने अजय कुमार को भीड़ से बचाकर बाहर निकाला। अपने घर ले जाकर इलाज किया। भीड़ की पिटाई की वजह से अजय कुमार को हाथों और सिर में चोट आई थी। इसके बाद जब हालात काबू में हुए तो कादिर ने अजय कुमार को पुलिस स्टेशन छोड़ा।
अहसानमंद हैं कांस्टेबल
सिपाही अजय कुमार कहते हैं कि ‘हाजी कदीर साहब मुझे अपने घर ले गए। मुझे अंगुली और सिर में चोट लगी थी। मुझे उन्होंने पानी और कपड़े दिए और विश्वास दिलाया कि मैं उनके घर सुरक्षित रहूंगा। बाद में वह मुझे पुलिस स्टेशन ले गए।’ अजय कुमार कहते हैं कि वह मेरे लिए फरिश्ता बनकर आए। अगर वह नहीं आते तो उपद्रवी मुझे मार डालते। वहीं, घटना को याद करते हुए हाजी कदीर कहते हैं कि ‘जब मैं नमाज पढ़ रहा था उसी दौरान मुझे बताया गया कि भीड़ ने एक पुलिसकर्मी को घेर लिया है। उसे गहरी चोट लगी हैं। मैंने उन्हें विश्वास दिलाया कि उन्हें बचा लूंगा। मैं उस वक्त उनका नाम भी नहीं जानता था। मैंने जो कुछ किया वह इंसानियत के नाते किया।’
सिपाही अजय कुमार कहते हैं कि ‘हाजी कदीर साहब मुझे अपने घर ले गए। मुझे अंगुली और सिर में चोट लगी थी। मुझे उन्होंने पानी और कपड़े दिए और विश्वास दिलाया कि मैं उनके घर सुरक्षित रहूंगा। बाद में वह मुझे पुलिस स्टेशन ले गए।’ अजय कुमार कहते हैं कि वह मेरे लिए फरिश्ता बनकर आए। अगर वह नहीं आते तो उपद्रवी मुझे मार डालते। वहीं, घटना को याद करते हुए हाजी कदीर कहते हैं कि ‘जब मैं नमाज पढ़ रहा था उसी दौरान मुझे बताया गया कि भीड़ ने एक पुलिसकर्मी को घेर लिया है। उसे गहरी चोट लगी हैं। मैंने उन्हें विश्वास दिलाया कि उन्हें बचा लूंगा। मैं उस वक्त उनका नाम भी नहीं जानता था। मैंने जो कुछ किया वह इंसानियत के नाते किया।’
इंसानियत आज भी जीवित है
समाजसेवी प्रतिभा उपाध्याय कहती हैं कि इंसानियत आज भी जीवित हैं। ऐसे लोग आज भी मानवता की मिसाल हैं। हम सभी को जाति धर्म से अलग सबसे पहले इंसानियत को महत्व देना चाहिए। इस बारे में हाजी समीउज्ज्मा कुरैशी कहते हैं कि मुसलमान भी सच्चे हिन्दुस्तानी हैं। उनकी देशभक्ति पर शक नहीं किया जा सकता। हाजी कदीर द्वारा किया गया नेक कार्य लोगों को याद रहेगा। वह अल्ला के नेक बंदे हैं। फिरोजाबाद गंगा जमुनी सभ्यता का प्रतीक है, जिसकी मिसाल मो. कदीर साहब ने दी है।
समाजसेवी प्रतिभा उपाध्याय कहती हैं कि इंसानियत आज भी जीवित हैं। ऐसे लोग आज भी मानवता की मिसाल हैं। हम सभी को जाति धर्म से अलग सबसे पहले इंसानियत को महत्व देना चाहिए। इस बारे में हाजी समीउज्ज्मा कुरैशी कहते हैं कि मुसलमान भी सच्चे हिन्दुस्तानी हैं। उनकी देशभक्ति पर शक नहीं किया जा सकता। हाजी कदीर द्वारा किया गया नेक कार्य लोगों को याद रहेगा। वह अल्ला के नेक बंदे हैं। फिरोजाबाद गंगा जमुनी सभ्यता का प्रतीक है, जिसकी मिसाल मो. कदीर साहब ने दी है।