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OnceuponaTime: कभी मुगलशासक लिया करते थे इस बंदरगाह का सहारा, आज है अंजान

locationफिरोजाबादPublished: Dec 05, 2019 04:25:30 pm

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arun rawat

— फिरोजाबाद के चन्द्रवाड़ क्षेत्र में आज भी सुरक्षित हैं बंदरगाह के अवशेष।— प्रतिदिन आने के बाद भी लोगों को नहीं इस बंदरगाह की जानकारी।— मुगल शासकों ने फिरोजाबाद यमुना में बनाया था बंदरगाह।

Port

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फिरोजाबाद। फिरोजाबाद जिले में मुगल सम्राट काफी समय तक रहे। इस दौरान उन्होंने रहने, खाने, पीने के अलावा आने जाने के लिए भी मार्ग तय कर रखे थे। आगरा और दिल्ली आने जाने के लिए मुगल शासक जल मार्ग का सहारा लिया करते थे। जिस मार्ग से वह आते जाते थे, उसी मार्ग को मुगलों ने जल बंदरबाह बना दिया था जहां से मुगल अपना सामान इधर से उधर भेजा करते थे। लेकिन अब इस जल बंदरगाह को संरक्षण की दरकार है। यहां प्रतिदन आने वाले लोगों को भी वहां अवशेषों की जानकारी नहीं है।
ये रहे मुगलशासक
मुुहम्मद गौरी ने फिरोजाबाद से आगरा और दिल्ली समेत अन्य स्थानों पर जाने के लिए चन्द्रनगर स्थित यमुना किनारे के स्थान को जल बंदरगाह के रूप में स्थापित किया। जहां यमुना में बहुत से समुद्री जहाज मुगल सेना और सामान को ढोने का काम करते थे। फिरोजाबाद के बेश्कीमती सामान को भी मुगलों द्वारा बंदरगाह के जरिए बाहर भेज दिया जाता था। वहीं फिरोजशाह नेे भी फिरोजाबाद को अपना गढ़ बनाया था। फिरोजशाह यहां काफी लंबे समय तक रूका और इस शहर का नाम ही फिरोजाबाद रख दिया।
बंदरगाह के अभी भी हैं अवशेष
यमुना किनारे बने घाट के पास जल बंदरगाह के अवशेष आज भी हैं। लोगों का कहना है कि पहले यातायात मार्ग के साधन कम थे। राजा महाराजा आने जाने के लिए जलमार्ग का सहारा लिया करते थे। मुगल शासक अपने हाथी घोडों और पूरी सेना को जलमार्ग द्वारा ही लाने ले जाने का काम करते थे। यमुना किनारे यहां आज भी बड़े पत्थर पड़े हुए हैं, जिन्हें लोग देखकर आश्चर्य करते हैं कि आखिर इनका यहां क्या काम था।
बंदरगाह को संरक्षित कराने की मांग
शहर की जनता ने जल बंदरगाह को संरक्षित किए जाने की मांग की है जिससे आने वाली पीढ़ी को भी ज्ञात रहे कि फिरोजाबाद में भी कभी जल बंदरगाह हुआ करता था। यमुना किनारे पडे बड़े-बड़े पत्थर आज भी वहां बंदरगाह होने की गवाही दे रहे हैं। शहरवासी राहुल गुप्ता ने बताया कि पूर्व वन मंत्री रघुवर दयाल वर्मा जब तक रहे उन्होंने यहां विकास कराया। बंदरगाह को संरक्षित करने के प्रयास किए लेकिन उनकी मौत के बाद पुराना जल बंदरगाह वीरान के रूप में पड़ा हुआ है, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
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