scriptवायुसेना दिवस : शेखावाटी की ये तीन बेटियां Indian Air Force में रच चुकी हैं इतिहास, पूरे देश को इन पर है गर्व | The three daughters of Shekhawati has created history in Indian Air Force | Patrika News

वायुसेना दिवस : शेखावाटी की ये तीन बेटियां Indian Air Force में रच चुकी हैं इतिहास, पूरे देश को इन पर है गर्व

locationफिरोजाबादPublished: Oct 08, 2016 01:29:00 pm

Submitted by:

vishwanath saini

शेखावाटी में जाबांज बेटियों की कमी नहीं। हम बात कर रहे हैं तीन ऐसी बेटियों की जिनका नाम वायुसेना के इतिहास दर्ज हो गया है।

शेखावाटी वीरों की भूमि है। यहां के बेटों के साथ-साथ बेटियां भी देश रक्षा कर रही हैं। अंचल की तीन बेटियां तो ऐसी हैं, जो वायुसेना में इतिहास रच चुकी हैं। तीनों पर शेखावाटी ही नहीं बल्कि पूरे देश को गर्व है। वायुसेना दिवस के मौके पर जानें इन बेटियों के बारें में।
स्नेहा शेखावत, सैन्य अधिकारी, गांव हरदयालपुरा, सीकर

गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में इंडिया गेट स्थित राजपथ पर देश के इस सबसे बड़े समारोह में वायु सेना की टुकड़ी का नेतृत्व स्नेहा शेखावत ने किया। साथ ही तत्कालीन राष्ट्रपति के नाते तीनों सेनाओं की प्रमुख और शेखावाटी की ही बेटी प्रतिभा देवीसिंह पाटील को सलामी भी दी। समारोह में सवेश्रेष्ठ परेड दस्ते का खिताब भी वायु सेना को ही मिला। इस खास मौके पर सेना की किसी टुकड़ी की अगुआई करने वाली स्नेहा देश की पहली महिला सैन्य अधिकारी बनीं। स्नेहा वर्तमान में वायु सेना का लड़ाकू विमान उड़ाती हैं।

मोहना सिंह, फाइटर पायलट गांव पापड़ा झुंझुनूं


महिला फाइटर पायलट बन देश में इतिहास रचने वाली मोहना सिंह झुंझुनूं के गांव पापड़ा की ढाणी जितरवालों की रहने वाली हैं। 18 जून 2016 को पासिंग आउट परेड के बाद अधिकारिक तौर पर देश की दो अन्य जाबांज बेटियों के साथ ही मोहना सिंह भी पहली महिला फाइटर पायलट बनी हंै। अब ये वायुसेना का लड़ाकू विमान उड़ाएंगी। यह पहला मौका होगा लड़ाकू विमान उड़ाने के लिए उसके कॉकपिट में कोई महिला पायलट होगी। मोहना सिंह के पिता प्रताप सिंह वायुसेना में बड़ौदरा में वारन्ट अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। मां मंजू देवी जितरवाल सेवानिवृत शिक्षिका हैं। मोहना सिंह की छोटी बहन नंदनी सिंह दिल्ली में अध्ययनरत हैं।

वीणा सहारण, स्क्वाड्रन लीडर, गांव रतनपुरा, चूरू

वीणा सहारण वायुसेना में आईएल-76 नाम का विमान उड़ाती हैं। इस विमान को उड़ाने वाली वे देश की पहली महिला पायलट हैं। इससे पहले इस जहाज को पुरुष पायलट ही उड़ाया करते थे। इसकी वजह भी है कि आईएल-76 का वजन 190 टन होता है। यातायात के हिसाब से यह देश का सबसे बड़ा विमान है। युद्ध और आपदा जैसी स्थितियों में यह वायु सेना का सबसे उपयोगी वाहन है। वीणा ने पहले एएन-32 नाम का विमान उड़ाकर अपनी योग्यता साबित की।
इससे वे देश के दुगमज़् सैन्य स्थलों पर राशन और दूसरी जरूरी चीजें पहुंचाती थीं। उनकी काबिलियत पर पूरा भरोसा हो जाने के बाद आखिरकार 2009 में उन्हें आइएल-76 की कमान सौंप दी गई। फिलहाल चंडीगढ़ में तैनात स्क्वाड्रन लीडर वीणा अब भी इस जहाज को उड़ाने वाली एकमात्र महिला पायलट हैं। वायु सेना के एचपीटी-32 और डीओ 228 नाम के विमान भी उड़ा चुकी हैं।
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