घास-फूस की झोपड़ी में रहने को विवश
नारखी क्षेत्र के गांवों में आज भी ग्रामीणों की स्थिति दयनीय है। ग्रामीण घास-फूस की झोंपड़ी में रहने को विवश हैं। सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित लोग सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाते परेशान हैं लेकिन उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण कहते हैं कि पहले काशीराम और फिर लोहिया आवास के बाद अब प्रधानमंत्री आवास योजना चल रही है लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें आवास उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
नारखी क्षेत्र के गांवों में आज भी ग्रामीणों की स्थिति दयनीय है। ग्रामीण घास-फूस की झोंपड़ी में रहने को विवश हैं। सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित लोग सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाते परेशान हैं लेकिन उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण कहते हैं कि पहले काशीराम और फिर लोहिया आवास के बाद अब प्रधानमंत्री आवास योजना चल रही है लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें आवास उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
कई बार किए आवेदन फिर भी नहीं मिली छत
गांव सलेमपुर के ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन किए लेकिन इसके बाद भी उन्हें छत नहीं मिल सकी। अभी भी वह घास-फूस की छत बनाकर रहने को विवश हैं। कभी-कभी तेज आंधी और बारिश आ जाने के कारण उन्हें इससे भी हाथ धोना पड़ जाता है। ऐसी स्थिति में वह सिस्टम को कोसने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं कर पाते। सरकारी आवास मिल जाता तो रहने के लिए जगह मिल जाती।
गांव सलेमपुर के ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन किए लेकिन इसके बाद भी उन्हें छत नहीं मिल सकी। अभी भी वह घास-फूस की छत बनाकर रहने को विवश हैं। कभी-कभी तेज आंधी और बारिश आ जाने के कारण उन्हें इससे भी हाथ धोना पड़ जाता है। ऐसी स्थिति में वह सिस्टम को कोसने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं कर पाते। सरकारी आवास मिल जाता तो रहने के लिए जगह मिल जाती।
भ्रष्टाचार से मिले मुक्ति
गांव नगला आम के ग्रामीणों की मांग है कि सरकार दशहरा के पर्व को लेकर भ्रष्टाचार में मुक्ति दिलाने का संकल्प ले साथ ही जरूरतमंदों की जरूरतों का ख्याल रखे। यह सबसे बड़ी विजय होगी। कागजी रावण जलाने से कुछ नहीं होगा। इस सिस्टम की मार से बेदम हो रही सरकारी मशीनरी के अंदर पल रहे भ्रष्टाचार के रावण को मारकर लोगों का भला हो सकेगा।
गांव नगला आम के ग्रामीणों की मांग है कि सरकार दशहरा के पर्व को लेकर भ्रष्टाचार में मुक्ति दिलाने का संकल्प ले साथ ही जरूरतमंदों की जरूरतों का ख्याल रखे। यह सबसे बड़ी विजय होगी। कागजी रावण जलाने से कुछ नहीं होगा। इस सिस्टम की मार से बेदम हो रही सरकारी मशीनरी के अंदर पल रहे भ्रष्टाचार के रावण को मारकर लोगों का भला हो सकेगा।