नई दिल्ली से जा रही थी पुरी
कोहरा शुरू होते ही ट्रेनों से जानवर टकराने की घटनाओं में इजाफा हो गया है। काउ केचर भी ट्रेनों की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं। रविवार देर शाम डाउन लाइन की नीलांचल एक्सप्रेस नई दिल्ली से पुरी जा रही थी, वो जैसे ही जलेसर और चमरौला स्टेशन के बीच पहुंची, तभी ट्रैक पर अचानक सांड आ गया। चालक के ट्रेन रोकने के प्रयास के बाद भी सांड ट्रेन की चपेट में आ गया और उसके चीथड़े उड गए। इस दौरान सांड के अवशेष इंजन में भी फंस गए। जिसकी वजह से ट्रेन थोड़ी दूर जाकर रूक गई। चालक ने इंजन में फंसे मांस को निकालकर ट्रेन को गंतव्य के लिए रवाना किया।
कोहरा शुरू होते ही ट्रेनों से जानवर टकराने की घटनाओं में इजाफा हो गया है। काउ केचर भी ट्रेनों की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं। रविवार देर शाम डाउन लाइन की नीलांचल एक्सप्रेस नई दिल्ली से पुरी जा रही थी, वो जैसे ही जलेसर और चमरौला स्टेशन के बीच पहुंची, तभी ट्रैक पर अचानक सांड आ गया। चालक के ट्रेन रोकने के प्रयास के बाद भी सांड ट्रेन की चपेट में आ गया और उसके चीथड़े उड गए। इस दौरान सांड के अवशेष इंजन में भी फंस गए। जिसकी वजह से ट्रेन थोड़ी दूर जाकर रूक गई। चालक ने इंजन में फंसे मांस को निकालकर ट्रेन को गंतव्य के लिए रवाना किया।
दनकौर-बैर के बीच रुकी राजधानी
डाउन लाइन की 12424 राजधानी नई दिल्ली से सियालदाह जा रही थी। दनकौर-बैर के बीच पहुंचते ही एक सांड राजधानी के सामने आ गया और उसके चीथड़े उड गए। सांड का मांस ट्रेन के इंजन में फंस गया। इसके चलते राजधानी भी रुक गई। राजधानी के रुकते ही यात्री बाहर निकल आए। चालक ने मामले की पूरी जानकारी नियंत्रण कक्ष को दी। मौके पर तकनीक विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मांस को इंजन से निकालकर ट्रेन को करीब 10 मिनट बाद गंतव्य के लिए रवाना कर दिया गया। इस दौरान पीछे आ रही ट्रेनों को पीछे ही रोक दिया गया था।
डाउन लाइन की 12424 राजधानी नई दिल्ली से सियालदाह जा रही थी। दनकौर-बैर के बीच पहुंचते ही एक सांड राजधानी के सामने आ गया और उसके चीथड़े उड गए। सांड का मांस ट्रेन के इंजन में फंस गया। इसके चलते राजधानी भी रुक गई। राजधानी के रुकते ही यात्री बाहर निकल आए। चालक ने मामले की पूरी जानकारी नियंत्रण कक्ष को दी। मौके पर तकनीक विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मांस को इंजन से निकालकर ट्रेन को करीब 10 मिनट बाद गंतव्य के लिए रवाना कर दिया गया। इस दौरान पीछे आ रही ट्रेनों को पीछे ही रोक दिया गया था।
सर्दियों में मंद हो जाती है ट्रेनों की रफ्तार
आपको बता दें कि सर्दियों के मौसम में आपको बता दें कि सर्दियों के मौसम में रेल दुर्घटनाएं काफी बढ़ जाती हैं। कोहरे के चलते ट्रैक पर जानवर दिखाई नहीं देते। ऐसे में अचानक ट्रेन की टक्कर से इंजन में जानवरों के मांस के टुकड़े फंस जाने के मामले सामने आते हैं। इस दौरान सबसे बड़ी बाधा नीलगाय बनती हैं। रेल अधिकारियों की मानें तो नीलगाय का शरीर काफी चिकना होता है। ऐसे में यदि ट्रेन का पहिया नीलगाय को टक्कर मारता है तो फिसलने की वजह से ट्रेनों के पटरी से नीचे उतरने की भी आशंका बढ़ जाती है। इसलिए ट्रेनों के आगे काउ कैचर लगाया जाता है। जो जानवर को दूर फेंकने के काम करता है।
आपको बता दें कि सर्दियों के मौसम में आपको बता दें कि सर्दियों के मौसम में रेल दुर्घटनाएं काफी बढ़ जाती हैं। कोहरे के चलते ट्रैक पर जानवर दिखाई नहीं देते। ऐसे में अचानक ट्रेन की टक्कर से इंजन में जानवरों के मांस के टुकड़े फंस जाने के मामले सामने आते हैं। इस दौरान सबसे बड़ी बाधा नीलगाय बनती हैं। रेल अधिकारियों की मानें तो नीलगाय का शरीर काफी चिकना होता है। ऐसे में यदि ट्रेन का पहिया नीलगाय को टक्कर मारता है तो फिसलने की वजह से ट्रेनों के पटरी से नीचे उतरने की भी आशंका बढ़ जाती है। इसलिए ट्रेनों के आगे काउ कैचर लगाया जाता है। जो जानवर को दूर फेंकने के काम करता है।