दरअसल सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान सिरसागंज विधायक हरीओम यादव ने अपने पुत्र विजय प्रताप उर्फ छोटू को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया था। आरोप है कि अध्यक्ष पद पर रहते हुए छोटू ने विधानसभा चुनाव से पहले मनमाने ढंग से करोड़ों रूपए खर्च कर दिए। इस मामले को लेकर जिला पंचायत सदस्य मंजू देवी ने शपथपत्र के माध्यम से शासन से शिकायत की थी। शिकायत के आधार पर मामले की जांच शुरू हुई।
प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के साथ ही प्रमुख पदों पर बैठे सपाइयों के विरोध में भाजपाइयों ने अविश्वास प्रस्ताव लाना शुरू कर दिया। सपाइयों ने जिला पंचायत अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित करा दिया। इसके लिए विधायक और उनके पुत्र ने हाईकोर्ट की शरण ली, लेकिन राहत नहीं मिली। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन वहां भी राहत नहीं मिली। हत्या के प्रयास के मामले में सिरसागंज विधायक हरिओम यादव ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया। वहीं उनके पुत्र ने गुरूवार आज सरेंडर करने की अर्जी कोर्ट में दी है। इसी बीच शासन ने विजय प्रताप उर्फ छोटू को जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर रहते हुए पद का दुरुपयोग कर मनमाने तरीके से अपने पिता के विधानसभा क्षेत्र में विकास कराने के मामले में अयोग्य घोषित कर दिया। साथ ही उन्हें पांच साल तक चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।
आपको बता दें कि हरिओम, यादव मुलायम सिंह यादव के समधी भी हैं। इस लिहाज से वह प्रदेश की राजनीति में दखल रखते थे। राजनीति में उनका अच्छा खासा दबदबा था। कोर्ट के चंगुल में आने के बाद उन पर शिकंजा कसता ही चला गया। अब उनके द्वारा कराए गए कार्यो की भी जांच कराए जाने की मांग की जा रही है। विधायक और उनके पुत्र पर कई संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं।