शहर से दूर गांव की आबादी में बसे सांथी नाम से मशहूर भोलेनाथ के मंदिर में लोगों ने कई चमत्कार अपनी आंखों से देखे हैं। मंदिर के महंत कमलनाथ बताते हैं कि हमारे पूर्वजों ने हमें बताया कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत के समय से पहले किया गया। महाराज शांतनु भगवान शिवजी की आराधना करते थे। उनके समय में एक सांप प्रतिदिन एक ही स्थान पर आकर बैठता था। खुदाई की गई तो यहां शिवलिंग निकली। जिसकी स्थापना करा दी गई।
महंत बताते हैं कि भीष्म पितामह की निकासी इसी जगह से है। महाभारत के युुद्ध के बाद फिर कोई यहां नहीं आया। आज भी इस मंदिर को भीष्म पितामह के नाम से लोग जानते हैं। महाराज शांतनु मंदिर का निर्माण होने के बाद यहां से चले गए थे।
महंत ने बताया कि मंदिर में कई चमत्कार होते रहे हैं। एक गाय यहां आकर खड़ी होती थी और उसका दूध अपने आप निकलता था। एक सांप जो मंदिर के आस—पास ही रहता था। कई बार भगवान शिव की पिंडी से लिपटे हुए लोगों ने दर्शन किए हैं। यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से आता है। उसकी सभी मनोकामना पूरी होती हैं। आज मंदिर पर लक्खी मेला लगता है। काफी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। मनोकामना पूरी होने पर भंडारे का आयोजन कराते हैं। शिवरात्रि के दिन इस मंदिर पर दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी रहती है।