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सिरसागंज विधायक हरीओम यादव ने गठबंधन टूटने को लेकर कहा कि गठबंधन से मायावती को ही फायदा हुआ। समाजवादी पार्टी अकेले चुनाव लड़ती तो कम से कम 25 सीट जीतती।
यादव वफादार होता है इसलिए उनकी दस सीट निकलीं। पिछले लोकसभा चुनाव में बहन जी एक भी सीट नहीं जीत सकी थीं जबकि सपा पांच सीट जीतकर आई थी। इस बार गठबंधन होने के बाद भी सपा पांच सीट पर ही सिमट गई। इससे प्रतीत होता है कि बसपा के वोटरों ने सपा प्रत्याशियों को वोट नहीं दिया जबकि सपा के वोटरों ने बसपा को वोट दिया था। इसकी वजह से ही बसपा की दस सीट जीत गईं।
सिरसागंज विधायक हरीओम यादव ने गठबंधन टूटने को लेकर कहा कि गठबंधन से मायावती को ही फायदा हुआ। समाजवादी पार्टी अकेले चुनाव लड़ती तो कम से कम 25 सीट जीतती।
यादव वफादार होता है इसलिए उनकी दस सीट निकलीं। पिछले लोकसभा चुनाव में बहन जी एक भी सीट नहीं जीत सकी थीं जबकि सपा पांच सीट जीतकर आई थी। इस बार गठबंधन होने के बाद भी सपा पांच सीट पर ही सिमट गई। इससे प्रतीत होता है कि बसपा के वोटरों ने सपा प्रत्याशियों को वोट नहीं दिया जबकि सपा के वोटरों ने बसपा को वोट दिया था। इसकी वजह से ही बसपा की दस सीट जीत गईं।
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उन्होंने कहा कि हमने लोकसभा चुनाव से पहले 22 जनवरी को शिकोहाबाद में विशाल रैली की थी। रामलीला मैदान में हमने कहा था कि चुनाव होने के बाद गठबंधन टूटेगा। यह मात्र स्वार्थ का गठबंधन है और ऐसा ही हुआ। चुनाव समाप्त होते ही बहन जी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। बहन जी का कोई भरोसा नहीं। मायावती जी ने पहले भी गठबंधन किया और स्वार्थ सिद्ध होने के बाद गठबंधन तोड़ देती हैं।
उन्होंने कहा कि हमने लोकसभा चुनाव से पहले 22 जनवरी को शिकोहाबाद में विशाल रैली की थी। रामलीला मैदान में हमने कहा था कि चुनाव होने के बाद गठबंधन टूटेगा। यह मात्र स्वार्थ का गठबंधन है और ऐसा ही हुआ। चुनाव समाप्त होते ही बहन जी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। बहन जी का कोई भरोसा नहीं। मायावती जी ने पहले भी गठबंधन किया और स्वार्थ सिद्ध होने के बाद गठबंधन तोड़ देती हैं।