scriptदशहरे पर लीजिए जैविक पद्धति से तैयार ताईवानी खरबूज का स्वाद | Take taste Taiwanese melon prepared with organic method on Dussehra | Patrika News

दशहरे पर लीजिए जैविक पद्धति से तैयार ताईवानी खरबूज का स्वाद

locationफिरोजाबादPublished: May 21, 2020 09:58:11 am

Submitted by:

arun rawat

— तहसील क्षेत्र के गांव चंडिका और चुल्हावली में तैयार हुई खरबूज की फसल— प्रगतिशील किसान ने पैदा किया पांच बीघा जमीन में 70 टन खरबूज

Farmer

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फिरोजाबाद। इस दशहरे पर आप भी जैविक पद्धति से तैयार ताईवानी खरबूज का स्वाद लीजिए। सुहागनगरी में प्रगतिशील किसानों ने इस किस्म की फसल तैयार की है। ताईवानी खरबूज की मिठास ऐसी है कि लोगों के मुंह में पानी आ जाए। इस क्षेत्र के प्रगतिशील किसान बेहतर पद्धति से फसल तैयार कर रहे हैं।

इन गांवों में हो रही पैदावार
इस खेती की शुरुआत टूंडला विकास खंड के गांव चंडिका व चुल्हावली में की गई है। प्रगतिशील किसान विजय पाल सिंह और चंचल चौधरी ने पांच—पांच बीघा खेत में खरबूज की खेती की है। उन्होंने बताया कि पांच बीघा खेत में उन्होंने करीब सात टन खरबूज उगाया है। इसकी मांग सामान्य खरबूज से कहीं अधिक है। फसल तैयार होने के साथ ही इसके शौकीन खेत से ही खरबूज खरीदकर ले जाते हैं। इसकी कीमत भी अन्य खरबूजों से अच्छी मिल रही है। पहली बार टूंडला क्षेत्र में इस प्रकार की फसल तैयार की गई है।
ऐसे होती है तैयार
रेलवे गार्ड व जैविक खेती के जानकार अमित पाल सिंह ने बताया कि ताईवानी खरबूज की फसल 90 दिन में तैयार हो जाती है। इसके लिए खेत में तीन—तीन फुट के बेड तैयार किए जाते हैं। मिट्टी और खरबूज के बीच में मलचिंग पेपर लगाया जाता है जिससे वह मिट्टी के संपर्क में न आए। वर्मी कंपोस्ट खाद को बेड़ों के इर्द—गिर्द नालियों में डाला जाता है। इस खेती को तैयार करने के लिए किसानों को निश्शुल्क प्रशिक्षण भी दिया गया था। ताइवान बॉबी वैरायटी से मीठा खरबूजा अभी तक भारतीय बाजार में उपलब्ध नही है। इसे 15 दिन तक स्टोर किया जा सकता है। फसल को कीटों से बचाने के लिए नींम और धतूरे के पत्तों को पीसकर गौ मूत्र में मिलाकर स्प्रे किया जाता है।
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