30 वर्षीय रेलकर्मी ने पेश की मिशाल
टूण्डला रेलवे में कार्यरत 30 वर्षीय ट्रेन गार्ड अमित पाल सिंह परमार ने नई तकनीकि का इस्तेमाल करके बगैर मिट्टी के खेती करके नया इतिहास रच दिया है। जहाँ एक ओर खेती बाड़ी छोड़कर लोग शहरों की तरफ रोजगार की तलाश में रुख कर रहे हैं। वहीं अमित पाल सिंह परमार पुत्र इन्द्र सिंह परमार निवासी स्योना भोगांब जिला मैंनपुरी 2012 में रेलवे में गार्ड के पद पर नियुक्त हुये हैं। अमित को शुरू से ही खेती बाड़ी का शौक रहा है।
टूण्डला रेलवे में कार्यरत 30 वर्षीय ट्रेन गार्ड अमित पाल सिंह परमार ने नई तकनीकि का इस्तेमाल करके बगैर मिट्टी के खेती करके नया इतिहास रच दिया है। जहाँ एक ओर खेती बाड़ी छोड़कर लोग शहरों की तरफ रोजगार की तलाश में रुख कर रहे हैं। वहीं अमित पाल सिंह परमार पुत्र इन्द्र सिंह परमार निवासी स्योना भोगांब जिला मैंनपुरी 2012 में रेलवे में गार्ड के पद पर नियुक्त हुये हैं। अमित को शुरू से ही खेती बाड़ी का शौक रहा है।
नौकरी के बाद करते हैं खेती
अब भी वह नौकरी के बाद जो खाली समय रहता है। उसमें वह अपनी घर की छत पर रासायनिक एव जैविक मुक्त तकनीकी विधि से सब्जियां उगा रहे हैं। उन्होंने अपने घर की 1350 वर्ग फुट की छत पर स्ट्रॉबेरी उगा रखी है। इससे पूर्व वह 5000 किलो टमाटर का उत्पादन भी इसी छत से ले चुके हैं।
अमित सिंह इस तकनीकि से पूर्णतः जैविक व रसायन मुक्त खेती करते हैं। उन्होंने अपने गांव में अमरूदों व बेर का बाग भी लगा रखा है, जिसे समय—समय पर देखने जाते हैं। उन्होंने बताया कि तकनीक विधि से पूर्णतः शुद्ध फल व सब्जियों का ही उत्पादन हो क्योंकि आप जब स्वयं शुद्ध उगाएंगे तभी आप शुद्ध खा सकते हैं। मिलावट के इस दौर में किसी पर विश्वास करना मुश्किल है। इतना ही नही इससे अर्जित राशि से वह किसानों को निशुल्क बीज व फल के पौधे उपलब्ध कराते हैं। वह युवाओं व किसानों को निशुल्क ट्रेनिंग देते है।
अब भी वह नौकरी के बाद जो खाली समय रहता है। उसमें वह अपनी घर की छत पर रासायनिक एव जैविक मुक्त तकनीकी विधि से सब्जियां उगा रहे हैं। उन्होंने अपने घर की 1350 वर्ग फुट की छत पर स्ट्रॉबेरी उगा रखी है। इससे पूर्व वह 5000 किलो टमाटर का उत्पादन भी इसी छत से ले चुके हैं।
अमित सिंह इस तकनीकि से पूर्णतः जैविक व रसायन मुक्त खेती करते हैं। उन्होंने अपने गांव में अमरूदों व बेर का बाग भी लगा रखा है, जिसे समय—समय पर देखने जाते हैं। उन्होंने बताया कि तकनीक विधि से पूर्णतः शुद्ध फल व सब्जियों का ही उत्पादन हो क्योंकि आप जब स्वयं शुद्ध उगाएंगे तभी आप शुद्ध खा सकते हैं। मिलावट के इस दौर में किसी पर विश्वास करना मुश्किल है। इतना ही नही इससे अर्जित राशि से वह किसानों को निशुल्क बीज व फल के पौधे उपलब्ध कराते हैं। वह युवाओं व किसानों को निशुल्क ट्रेनिंग देते है।