तहसील क्षेत्र के गांव शिवसिंहपुर में रहने वाले सोनू चार मार्च को दुबई से वापस लौटे। गांव वालों ने बाहर ही रोक दिया। अस्पताल में पहुंचकर जांच कराई और 14 दिन तक अपने आप को आइसोलेट किया। रिपोर्ट नेगेटिव आने पर राहत की सांस ली। 21 मार्च को कोलकाता से लौटे बन्ना निवासी सतीश, सोनू और शशी देवी को भी ग्रामीणों ने नहीं घुसने दिया। अस्पताल में पहुंचकर जांच कराई रिपोर्ट नेगेटिव आई। तब तक उन तीनों को आईसोलेट किया गया। 22 मार्च को ही हैदराबाद से लौटे लतीफपुर निवासी सोनू के गांव में आने की खबर जैसे ही ग्रामीणों को लगी तत्काल अस्पताल में सूचना दे दी गई। मौके पर पहुंची टीम उन्हें अस्पताल ले आई।
उन्हें अस्पताल में आईसोलेट वार्ड में रखा और रिपोर्ट आने के बाद उन्हें घर भेजा गया। इसी दिन मुंबई से लौटे चुल्हावली निवासी पवन सिंह बताते हैं कि कोरोना के भय से अपने भी पराए जैसा व्यवहार करने लगे हैं। सुरक्षा की दृष्टि से यह ठीक भी है। कभी-कभी लापरवाही जान पर भारी पड़ जाती है। 10 मार्च को जयपुर से आए भैंसा बृजपुर निवासी आमीन कहते हैं कि लोगों ने गांव में नहीं घुसने दिया। सुरक्षा की दृष्टि से पहले अपनी अस्पताल पहुंचकर जांच कराई और एहतियात के तौर पर रिपोर्ट आने तक अपने आप को आइसोलेट करके रखा जिससे कोई दूसरा व्यक्ति प्रभावित न हो लेकिन ऐसा लग रहा था मानो हम कोई परदेसी हैं। सीएमओ डाॅ. एसके दीक्षित का कहना है कि बाहर से आने वाले लोगों को ग्रामीण पकड़कर अस्पताल लेकर आ रहे हैं। इससे अस्पताल में अव्यवस्था पैदा हो रही है। बाहर से आने वाले लोगों को घर के एक कमरे में 14 दिन तक आइसोलेट रखें। किसी प्रकार की परेशानी होने पर अस्पताल में सूचित करें।