योग प्रचारक पवन आर्य ने बताया कि उज्जायी का अर्थ होता है विजेता यह प्राणायाम समस्त स्त्री व पुरुषों हेतु हितकर होता है। इस प्रणायाम से शरीर के ताप का शमन, जठराग्नि प्रदीप्त, हृदय व फेफड़ों के विकार का नाश,बाह्य आंतरिक शुद्धि, स्नायुमण्डल क्रियाशील, अंगप्रत्यंग पुष्ट, उत्साह, स्फूर्ति, कार्य क्षमता व जीवनशक्ति की वृद्धि होती है जिससे शरीर सुंदर व स्वस्थ रहता है।
गोविन्द शरण प्रसाद ने बताया कि राजीव दीक्षित जी ने बताया था कि खड़े होकर अपने पैरों से 45 डिग्री का कोण बनाये अर्थात दोनो पैरों की एड़िया सटी हुयी अंगूठे से दूर करें। आपकी आँखे पृथ्वी की जितनी ऊंचाई पर हों उस सीध में देखें। ऊपर नीचे न देखें चेहरे पर प्रफुल्लता रहे दोनो हाथ ढ़ीले और शरीर का सारा भार एड़ियों पर बराबर हो ताकि आप के दोनो कंधे एक सीध में हो आप निश्चल परन्तु आराम से खड़े हों।
सर्वप्रथम सिटी बजाने की प्रक्रिया द्वारा पूरे जोर से शरीर की सारी वायु भीतर से बाहर कर दें स्वास बाहर निकालते समय दोनों ओठ को मोड़कर नाली जैसा बना लें। सांस छोड़ने की प्रक्रिया पूरी हो जाने पर दोनों नाक से धीरे—धीरे सांस भरें। शुरू में अपनी क्षमता से 85% ही भरें, इसके बाद अपनी क्षमता बढ़ाते जाएं। सांस ग्रहण अर्थात पूरक के बाद कुंभक करें। सांस रोकने की स्थिति में सम्पूर्ण शरीर में दृढ़ता व कड़ापन लाएं छाती और पेट भीतर की तरफ खिंचा होना चाहिए। पैर हाथ, जांघ, कमर, पीठ, कंधे समस्त अंग में कड़ाई की स्थिति हो।
कुंभक के बाद रेचक की क्रिया करें। सम्पूर्ण शरीर ऊपर से नीचे तक ढीला छोड़ना शुरू करें। जैसे—जैसे सांस बाहर निकले वैसे—वैसे शरीर में शिथिलता आने दें। जब सांस त्याग प्रकिया पूर्ण हो तो स्वाभिक स्वसन करें जिससे विश्राम मिल जाए। आठ से दस सेकंड के अंदर प्रथम दिन ये सिर्फ तीन से चार बार ही करें और यह 24 घण्टे में एक बार या आठ घण्टे के अंदर दो बार ही करनी चाहिए।
विशेष रेचक करते समय आपकी भावना सम्पूर्ण दोष को निकालने की पूरक करते समय वायु के माध्यम से जीवन शक्ति ग्रहण करने की। इस प्रणायाम के कुंभक करते समय चक्कर आने की संभावना होती है उन्हे जिन्हें स्वच्छ वायु का आभाव, कब्जमादक पदार्थ का सेवन, पेट भारी होना उन्हें स्वास लेने रोकने के समय मे कमी कर देनी चाहिए।
जिन्हें खड़े होकर प्राणायम करने से चक्कर आते हैं। उन्हें लेट कर या जो शरीर से दुर्बल या खड़े होने में असमर्थ हों उन्हें लेट कर करना चाहिए। बैठकर सिद्धासन या वज्रासन की स्थिति में गले के समीप सांस नली को सिकोड़ते हुए अर्थात सिसकने जैसी स्थिति में नासिका से गहरी सांस लें कुंभक करें व बायें नासिका छिद्र से धीरे—धीरे रेचक करें।
योग क्रिया में पुरूषों से अधिक महिलाएं प्रतिभाग कर रहीं हैं। जिले को निरोगी बनाने के लिए महिलाएं प्रतिदिन योग कक्षाएं लगा रही हैं। विद्यालयों, पार्को और सार्वजनिक स्थानों पर जाकर योग क्रियाएं सिखाकर महिलाओं, पुरूषों और बच्चों को योग के लाभों के बारे में बता रही हैं।