सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद फीफा द्वारा भारत से बैन हटाया जा सकता है और अक्टूबर में होने वाले अंडर-17 वूमेन वर्ल्ड कप की मेजबानी भी भारत को मिल सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले AIFF को निर्देशित किया और कहा COA के भंग होने के बाद चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं, जिससे कि भारत में फुटबॉल पहले की तरह वापस पटरी पर लौट सके।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते केंद्र सरकार के आग्रह पर उक्त मामले पर डीवाई चंद्रचूड़ और ए एस बोपन्ना के पीठ में सुनवाई की और उन्होंने इस मामले को बारीकी से समझते हुए चुनाव प्रक्रिया 1 हफ्ते के लिए आगे बढ़ा दी। इसके अलावा चुनाव प्रक्रिया में 35 राज्य और 1 केंद्र शासित प्रदेश के रिप्रेजेंटेटिव मेंबर हिस्सा लेंगे और चुनाव प्रक्रिया सुचारू एंव निष्पक्ष रूप से हो इसके लिए श्री उमेश सिन्हा और तापस भट्टाचार्य को रिटर्निंग ऑफिसर कोर्ट ने अप्वॉइंट किया है।
समझें पूरा मामला
बता दें कि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मई में अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ को भंग कर दिया था और खेल को चलाने के लिए भारतीय फुटबॉल संघ के संविधान में संशोधन करने और 18 महीने से लंबित चुनाव कराने के लिए 3 सदस्यी प्रशासकों की नियुक्ति की थी। इसके अलावा एआईएफएफ अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को 18 मई को उनके पद से हटा दिया गया था।
इसके बाद फीफा और एशियाई फुटबाल महासंघ के महासचिव विंडसर जॉन के नेतृत्व में एक टीम को भारतीय फुटबॉल के हितधारकों से मिलने के लिए भेजा। इसके बाद 15 सितंबर तक एआईएफएफ से चुनाव कराने और अपना रोडमैप तैयार करने के लिए कहा था। फीफा चाहता था कि एआईएफएफ में चुनाव हो और नए तरीके से संचालन समिति का गठन हो, जो एआईएफएफ के संविधान के साथ मिलकर काम कर सकें।
इसके लिए फीफा ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ को पहले ही चेतावनी दी थी लेकिन अभी तक ना तो चुनाव हो सके और AIFF के अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को भी उनके पद से हटा दिया गया। प्रफुल पटेल को पद से हटाने के बाद निर्वाचित तीन सदस्य प्रशासक समिति को सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने के लिए अंतरिम निकाय बनाने की घोषणा की। इसके बाद इस समिति ने अपने हिसाब से चुनाव कराने का फैसला लिया और कुछ पूर्व खिलाड़ियों से अपने पक्ष में वोट कराने की मांग की, इसी को फीफा ने थर्ड पार्टी हस्तक्षेप माना है जिसके कारण एआईएफएफ को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है।