लिस्बन सिटी में जन्में माटोस ने लोकल फुटबाल क्लब एसएल बेनफिका के लिए जूनियर करियर की शुरुआत फारवर्ड पोजिशन से की थी। 1971-72 में नेशनल चैंंपियन बनीं बेनफिका टीम का भी वे हिस्सा थे। अपने पूरे करियर में वे 8 फुुटबाल क्लबों की टीम का हिस्सा रहे, जिनमें एसएल बेनफिका, एकेडमिका, एस्टोरिल प्राया, एटलेटिको सीपी, बेलेनसेस, स्टैंडर्ड लीग, प्राटीमोंसे और एस्ट्रेला एमाडोरा शामिल हैंं। टॉप बेल्जियन क्लब स्टैंडर्ड लीग के साथ अपने करियर में माटोस उसे बेल्जियन कप खिताब भी जिता चुके हैं। पुर्तगाल की नेशनल टीम के लिए अपने करियर का एकमात्र इंटरनेशनल गोल माटोस ने 1982 में वेस्ट जर्मनी के खिलाफ एक दोस्ताना मैच में किया था। जर्मनी ने वो मैच 3-1 से जीता था। 1986-87 में एस्ट्रेला डि एमाडोरा के लिए खेलने के दौरान माटोस ने अपने करियर को खिलाड़ी के रूप में विराम देने का निर्णय लिया। ये पहली और आखिरी बार था, जब वे सेकंड डिविजन लीग खेल रहे थे। लुईस नोर्टन डि माटोस का कहना है कि उनके दादा जी आर्नाल्डो डि माटोस गोवा में जन्मे थे, इसलिए भारत से उनका गहरा संबंध है और बचपन से अपने घर में वे भारत के बारे में सुनते आए हैं। पुर्तगाली कोच माटोस अपने देश में उस परिवार से आते हैं, जिनके पूर्वजों के नाम पर पूरे देश में विभिन्न स्थानों के नाम रखे गए हैं, जैसे एवेन्यू नोर्टन डि माटोस और बैरो नोर्टन डि माटोस आदि। लुईस ने अपने कोचिंग करियर की शुरुआत 1989 में एक सेकंड डिविजन क्लब एटलेटिको से की थी। उन्हें 16 साल के कोचिंग करियर के बाद 2005 में तब बड़ा मौका मिला, जब फर्स्ट डिविजन के क्लब विटोरिया डि सेतुबल ने उन्हें अपना कोच बनाया। लुईस ने 90 के दशक के आखिरी सालों में मशहूर पुर्तगाली क्लब स्पोर्टिंग लिस्बन के फुटबाल निदेशक के तौर पर भी कई साल काम किया। लुईस नोर्टन के 2010 में वेस्ट अफ्रीकी देश गिनी-बिस्सू ने अपनी नेशनल फुटबाल टीम के कोच को तौर पर साथ जोड़ा।
लिस्बन सिटी में जन्में माटोस ने लोकल फुटबाल क्लब एसएल बेनफिका के लिए जूनियर करियर की शुरुआत फारवर्ड पोजिशन से की थी। 1971-72 में नेशनल चैंंपियन बनीं बेनफिका टीम का भी वे हिस्सा थे। अपने पूरे करियर में वे 8 फुुटबाल क्लबों की टीम का हिस्सा रहे, जिनमें एसएल बेनफिका, एकेडमिका, एस्टोरिल प्राया, एटलेटिको सीपी, बेलेनसेस, स्टैंडर्ड लीग, प्राटीमोंसे और एस्ट्रेला एमाडोरा शामिल हैंं। टॉप बेल्जियन क्लब स्टैंडर्ड लीग के साथ अपने करियर में माटोस उसे बेल्जियन कप खिताब भी जिता चुके हैं। पुर्तगाल की नेशनल टीम के लिए अपने करियर का एकमात्र इंटरनेशनल गोल माटोस ने 1982 में वेस्ट जर्मनी के खिलाफ एक दोस्ताना मैच में किया था। जर्मनी ने वो मैच 3-1 से जीता था। 1986-87 में एस्ट्रेला डि एमाडोरा के लिए खेलने के दौरान माटोस ने अपने करियर को खिलाड़ी के रूप में विराम देने का निर्णय लिया। ये पहली और आखिरी बार था, जब वे सेकंड डिविजन लीग खेल रहे थे। लुईस नोर्टन डि माटोस का कहना है कि उनके दादा जी आर्नाल्डो डि माटोस गोवा में जन्मे थे, इसलिए भारत से उनका गहरा संबंध है और बचपन से अपने घर में वे भारत के बारे में सुनते आए हैं। पुर्तगाली कोच माटोस अपने देश में उस परिवार से आते हैं, जिनके पूर्वजों के नाम पर पूरे देश में विभिन्न स्थानों के नाम रखे गए हैं, जैसे एवेन्यू नोर्टन डि माटोस और बैरो नोर्टन डि माटोस आदि। लुईस ने अपने कोचिंग करियर की शुरुआत 1989 में एक सेकंड डिविजन क्लब एटलेटिको से की थी। उन्हें 16 साल के कोचिंग करियर के बाद 2005 में तब बड़ा मौका मिला, जब फर्स्ट डिविजन के क्लब विटोरिया डि सेतुबल ने उन्हें अपना कोच बनाया। लुईस ने 90 के दशक के आखिरी सालों में मशहूर पुर्तगाली क्लब स्पोर्टिंग लिस्बन के फुटबाल निदेशक के तौर पर भी कई साल काम किया। लुईस नोर्टन के 2010 में वेस्ट अफ्रीकी देश गिनी-बिस्सू ने अपनी नेशनल फुटबाल टीम के कोच को तौर पर साथ जोड़ा।