पेरू के कप्तान निलंबित हैं
ला-बेंक्विरोजा के नाम से लोकप्रिय इस टीम के लिए सबसे बड़ी मुश्किल है उसके कप्तान और बेहतरीन खिलाड़ी पाउलो गुएरेरो का टीम में शामिल न होना। प्रतिबंधित दवा के सेवन के आरोप के कारण निलंबन का सामना कर रहे गुएरेरो को टीम में जगह नहीं मिली और ऐसे में एल्बर्ट रोड्रिगेज को टीम की कमान सौंपी गई है। टीम के पास उसका अहम खिलाड़ी गुएरेरो नहीं है, जिन्होंने राष्ट्रीय टीम के इतिहास में सबसे अधिक गोल किए हैं। इसके अलावा, कई समय तक विश्व कप से बाहर रही यह टीम अनुभव में कच्ची है। ऐसे में देखा जाए, तो पेरू को ग्रुप-स्तर पर ही अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा।
डेढ़ साल से मैच नहीं हारी है पेरू
ग्रुप स्तर पर अगर पेरू डेनमार्क और आस्ट्रेलिया को हरा देती है, तो वह दूसरे स्थान पर रहते हुए अंतिम-16 दौर में पहुंच जाएगी। इसके बाद कुछ भी मुमकिन है। फीफा विश्व कप में केवल पांच बार खेल चुकी पेरू के पास उसके अनुभवी कोच रिकाडरे गारेसा हैं। फरवरी, 2015 में गारेसा को पेरू फुटबाल टीम का कोच नियुक्त किया गया था और उन्हीं के मार्गदर्शन में टीम ने कोपा अमेरिका के सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। साल 1986 में विश्व कप का खिताब जीतने वाली अर्जेटीना टीम के सदस्य रहे गारेसा के मार्गदर्शन की बदौलत पेरू ने पिछले डेढ़ साल में मैच नहीं हारी है। पेरू को नवम्बर, 2016 में ब्राजील के खिलाफ हार का सामना किया था। इसके बाद, से राष्ट्रीय टीम ने अपने 12 मैचों में जीत हासिल की है।
फारवर्ड जेफरसन फारफान हैं टीम की ताकत
गुएरेरो की अनुपस्थिति के कारण भले ही पेरू की विश्व कप की उम्मीदों को झटका लगा हो, लेकिन उसके पास गुएरेरो के सबसे अच्छे दोस्त और फारवर्ड जेफरसन फारफान है, जिन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए प्लेऑफ के मैच में गोल दागकर टीम को विश्व कप में प्रवेश हासिल करने में अहम भूमिका निभाई थी। फारफान ने टीम के लिए खेले गए 81 मैचों में सबसे अधिक 24 गोल दागे हैं। इसके अलावा, एडिसन फ्लोरेस और क्रिस्टियन कुएवा भी टीम के लिए अहम खिलाड़ी हैं।पेरू के पास भले ही विश्व कप में अनुभव की कमी हो, लेकिन उसका डिफेंस किसी भी टीम के लिए खतरनाक हो सकता है। इसी के आधार पर वह आगे बढ़कर गोल दागने के अवसर भी हासिल कर लेती है। हालांकि, उसे अगर विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन करना है, तो उसे कदम दर कदम आगे बढ़ना होगा।