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खाली पदों पर भर्ती के बजाय सरकार ने पद ही तोड़े

locationनई दिल्लीPublished: Sep 21, 2016 03:08:00 pm

हनुमानगढ़ मजाकिया जुमला है कि गरीबी मिटाने के दो तरीके हैं। पहला गरीबों का आर्थिक स्तर बढ़ाकर या फिर दूसरा गरीबों को ही खत्म करो। राज्य सरकार चिकित्सा कर्मियों के खाली पद भरने के मामले में दूसरा तरीका आजमा रही है। मतलब मानव संसाधन की कमी से जूझ रहे अस्पतालों में नई भर्ती के बजाय […]

government broked the vacant post

government broked the vacant post

हनुमानगढ़

मजाकिया जुमला है कि गरीबी मिटाने के दो तरीके हैं। पहला गरीबों का आर्थिक स्तर बढ़ाकर या फिर दूसरा गरीबों को ही खत्म करो। राज्य सरकार चिकित्सा कर्मियों के खाली पद भरने के मामले में दूसरा तरीका आजमा रही है। मतलब मानव संसाधन की कमी से जूझ रहे अस्पतालों में नई भर्ती के बजाय पहले से मंजूर पद ही खत्म कर दो। जब पद ही समाप्त हो जाएंगे तो भरने का लफड़ा भी खुद ही खत्म हो जाएगा। जिले में बिलकुल ऐसा हुआ भी है। पद समाप्त करने से पहले नर्सिंग कर्मियों के 100 से अधिक पद खाली थे। मगर पद समाप्त करने के बाद सब भर गए। क्योंकि जितने तोड़े गए, लगभग उतने ही पद खाली थे। बिना भर्ती भरे गए सब पद।
राज्य सरकार ने इसी माह प्रदेश भर में नर्स ग्रेड द्वितीय, एलएचवी, नर्सिंग अधीक्षक प्रथम व द्वितीय आदि के साढ़े छह हजार से अधिक पद समाप्त किए हैं। जिलेवार इनकी सूची बनाई गई है। यद्यपि अभी तक पद समाप्ति के बाद अधिशेष नर्सिंग कर्मियों को रिलीव करने का ऑर्डर नहीं दिया गया है। मजे की बात यह है कि जिले से लेकर प्रदेश में सैकड़ों पीएचसी ऐसे हैं जो केवल नर्सिंग कर्मियों के भरोसे ही चल रहे हैं। वहां चिकित्सकों के पद पहले से ही खाली हैं। अब प्रत्येक पीएचसी से एक जीएनएम का पद तोड़ा गया है। 24 घंटे अस्पताल संचालन का दावा करने वाला चिकित्सा विभाग अब एक नर्सिंग कर्मी से कैसे काम चलाएगा, देखने वाला होगा।
जरूरत के बावजूद पद समाप्त

जहां 50 बेड मंजूर हैं, वहां पांच से छह वार्ड तथा 30 बेड सीएचसी में तीन से चार वार्ड तक संचालित किए जा रहे हैं। प्रत्येक वार्ड में 24 घंटे ड्यूटी के लिए 3 नर्सिंग कर्मियों की जरूरत होती है। इस तरह 4 वार्ड के लिए 12 तथा 6 वार्ड 18 नर्सिंग कर्मियों की आवश्यकता पड़ती है। अगर लेबर रूम का संचालन हो रहा हो तो फिर कम से कम 3 नर्सिंग कर्मियों की और जरूरत पड़ेगी। 
अस्पतालों का ढंग से संचालन करने तथा रोगियों को बढिय़ा सुविधा मुहैया करवाने के लिए इन मापदंडों की पालना करनी पड़ती है। अन्यथा चाहे कैसे भी अस्पताल संचालित किए जाए। जिले में ही कई 30 बेड सीएचसी ऐसी हैं जो केवल तीन से चार नर्सिंग कर्मियों के भरोसे ही चल रही है। वहां रिक्त पदों को भरने के बजाय सरकार ने पद तोड़ दिए हैं।
बढ़ाने थे पर तोड़ दिए

जिला अस्पताल में डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से 150 बेड मंजूर हैं। जबकि जरूरत 300 बेड की है। इसलिए लंबे समय से बेड बढ़ाकर डॉक्टर व नर्सिंग कमियों के पद सृजित करने की मांग की जा रही है। अब देखिए सरकार ने बेड या पद तो बढ़ाए नहीं। ऊपर से जो पहले से मंजूर पद थे, उनमें से भी अब नर्सिंग कर्मियों के 12 पद तोड़ दिए गए हैं। जिला अस्पताल में नर्सिंग कमियों के 22 पद खाली थे। 12 पद तोडऩे के बाद केवल 10 ही खाली रह गए हैं।

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