कई अच्छे खिलाड़ियों को अपने साथ जोड़ा –
इसके अलावा पुणे ने तीसरे सीजन के कुछ अच्छे खिलाड़ियों को भी अपने साथ जोड़ा जिसमें मार्सेलिंहो और मार्कस तेबार जैसे नाम शामिल हैं। इन दोनों ने 2016 में दिल्ली डायनामोज को सेमीफाइनल में प्रवेश दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। इनके अलावा पुणे ने नार्थईस्ट से एमिलियानो अल्फारो को भी अपने साथ जोड़ा जिन्होंने टीम को यहां तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन इसके बाद भी पोपोविक का योगदान सबसे ऊपर है। वह इन खिलाड़ियों के टीम में शामिल होने के बाद टीम के कोच बने थे।
पाया वह मुकाम जो किसी से सोचा नहीं था –
टीम ने रणनीति पूर्व कोच एंटोनियो हबास के साथ बनाई थी जो पिछले सीजन में टीम के कोच थे। उन्हीं के साथ टीम ने इस साल खिलाड़ियों का चयन किया। हर कोच के बाद सीजन से पहले अपनी टीम चुनने का मौका होता है, लेकिन पोपोविक को यह सौभाग्य नहीं मिला। उन्होंने हबास के जाने के बाद टीम का दामन थामा। सीजन के शुरू होने से पहले कोच के साथ विवाद के बाद किसी ने इस क्लब से इस तरह के प्रदर्शन की उम्मीद नहीं की थी। और लीग के पहले मैच में पुणे को दिल्ली के हाथों हार मिली। दिल्ली ने पुणे को 3-0 से हराया। लेकिन अगले ही मैच में पोपोविक की टीम ने मौजूदा विजेता एटीके को 4-1 से मात देकर शानदार वापसी की।
सही चयन और रणनीति की बदौलत पाई सफलता –
पोपोविक की रणनीति और खिलाड़ियों के सही चयन ने इस सीजन टीम को कई जीतें दिलाईं। उदाहरण के तौर पर बेंगलुरू एफसी के खिलाफ एक मैच में शानदार खेल खेला और बेंगलुरू को परेशान किया, लेकिन बलजीत सहानी के रेड कार्ड ने मैच का रूख बदल दिया। आदिल खान को मिडफील्डर के तौर पर उतारने का उनका फैसला सही साबित हुआ और मोहन बागान के इस पूर्व डिफेंडर ने तेबार के साथ शानदार प्रदर्शन किया जिससे टीम को स्थिरता मिली और अल्फारो, मार्सेलिंहो तथा डिएगो कार्लोस को खुलकर खेलने का मौका मिला।
खिलाड़ियों का बेहतरीन इस्तेमाल किया-
पोपोविक ने इस सीजन में खिलाड़ियों की विविधता का भी अच्छा इस्तेमाल किया। उन्होंने बलजीत, रोहित कुमार, आदिल तथा सार्थक गोलुई को अलग-अलग मैचों में टीम की जरूरत से हिसाब से इस्तेमाल किया जो कारगर साबित हुआ। पुणे की सफलता का एक और कारण पोपोविक का युवा खिलाड़ियों में भरोसा है। जहां कई कोच युवा खिलाड़ियों को संभालने के मामले में चौकस हो जाते हैं वहीं पोपोविक ने उन पर भरोसा जताया और उनका यह भरोसा काम ? भी आया।
युवा खिलाड़ियों ने भी निभाया अहम रोल –
विशाल कैथ (21), गोलुई (20), इसाक वानमालसवमा (21), आशिक कुरुनियन (20), रोहित (21), और साहिल पंवार (18) जैसे युवा खिलाड़ियों ने टीम में अहम रोल निभाया। पोपोविक ने कहा, ह्लहम चाहते हैं कि हमारी टीम से ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी भारत की राष्ट्रीय टीम में खेलें और लीग को मजबूत बनाएं। सर्बिया के कोच ने खिलाड़ियों से उनका सर्वश्रेष्ठ खेल निकलवाया और फिर विंटर ट्रांसफर विंडो के तहत मार्को स्टानकोविक और लोलो को लाकार टीम में और सुधार किए।
सेमीफाइनल में बेंगलुरु से होगी भिड़ंत –
अपने आखिरी तीन मैचों में पुणे ने सिर्फ दो अंक हासिल किए, लेकिन सेमीफाइनल में वह इसमें सुधार करना चाहिए। सेमीफाइनल में उसका सामना बेंगलुरू एफसी जैसी टीम से है। बेंगलुरू एफसी इस सीजन में जीत की प्रबल दावेदार है, लेकिन पोपोविक अभी रणनीति बना रहे हैं। उनके पास शायद इस मैच के लिए कुछ अलग हो।