scriptकोरोना की तीसरी लहर से लड़ने को तहसील स्तर तक के अस्पताल भी हो रहे अपडेट | Hospitals up to Tehsil level also being updated to fight third wave of Corona | Patrika News

कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने को तहसील स्तर तक के अस्पताल भी हो रहे अपडेट

locationगाडरवाराPublished: Aug 02, 2021 05:47:39 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-कोशिश ये कि हर सरकारी अस्पताल में हो ऑक्सीजन प्लांट व आईसीयू यूनिट

कोरोना के तीसरी लहर के लिए तैयार होते अस्पताल

कोरोना के तीसरी लहर के लिए तैयार होते अस्पताल

नरसिंहपुर/गाडरवारा. कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने को तहसील स्तर तक के अस्पताल भी हो रहे अपडेट। कोशिश ये है कि हर सरकारी अस्पताल में हो ऑक्सीजन प्लांट व आईसीयू यूनिट। इसी के तहत अब गाडरवारा के सिविल अस्पताल को भी अपडेट करने की कोशिश की जा रही है। यहां पर 500 लीटर प्रति मिनट आक्सीजन उत्पादित करने वाला प्लांट स्थापित करने की तैयारी है। साथ ही अस्पताल में आइसीयू वार्ड बनाने की कोशिशों के तहत एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
इस संबंध में सिविल अस्पताल गाडरवारा के प्रभारी डॉ. राकेश बोहरे बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में जो-जो खामिया सामने आईं थीं उसे दूर कने का प्रयास जिला प्रशासन कर रहा है। इसी कड़ी में सिविल अस्पताल में सेंट्रल पैथोलॉजी लैब और डिजिटल एक्सरे मशीन की स्थापना हुई है। अब जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट भी स्थापित हो जाएगा। इसके अलावा सिविल अस्पताल में और सुविधा मुहैया कराने की दृष्टि से आइसीयू वार्ड स्थापित कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। ये सारी कवायद इसलिए कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो आमजन को बेहतर इलाज मिल सके।
बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर ने गाडरवारा तहसील की ये हालत थी कि यहां के शहरी, कस्बाई और ग्रामीण इलाकों में हर दूसरा-तीसरा घर बुखार आदि से पीड़ित था। करीब 300 गांवों वाली तहसील के लोगों के लिए गाडरवारा का 100 बिस्तर वाला सिविल अस्पताल ही इलाज का एकमात्र सहारा था। ऐसे में कोरोना के लगातार बढ़ते मरीजों के कारण उपलब्ध संसाधन बेहद कम पड़ गए थे। दूसरी लहर के दौरान सिविल अस्पताल में ऑक्सीजनयुक्त बिस्तरों की संख्या 30 थी, जिसे डॉ. बोहरे के प्रयासों से पहली लहर के अनुभव के आधार पर स्थापित किया गया था।
डॉ. बोहरे ने इन 30 ऑक्सीजनयुक्त बिस्तरों में टू वे चैनल सिस्टम लगाकर इसकी क्षमता को दोगुना कर दिया था। इस तरह कोरोना के पीक दौर में सिविल अस्पताल में 60 से 70 गंभीर मरीजों को भर्ती कर उन्हें सेंट्रलाइज्ड सिस्टम से ऑक्सीजन की आपूर्ति करना संभव हो सका था। उधर अस्पताल से होम आइसोलेशन में रहने वाले करीब 550 मरीजों को नियमित रूप से ट्रीटमेंट दिया गया। डॉ. बोहरे के अनुसार दूसरी लहर में सामने आई कमियों को ध्यान में रखते हुए अब सिविल अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने की क्षमता और सुविधाओं को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यहां पर 30 नए आक्सीजनयुक्त बिस्तरों की स्थापना की जा रही है। इस तरह यहां पर जल्द ही सेंट्रलाइज्ड आक्सीजन सिस्टम से 60 बिस्तर सीधे तौर पर जुड़ जाएंगे। इसके साथ ही यदि यहां जल्द आक्सीजन प्लांट लगता है तो आक्सीजन की आपूर्ति में सिविल अस्पताल आत्मनिर्भर हो जाएगा। समीपी गंगई में आक्सीजन रिफलिंग प्लांट होना यहां के लिए राहत की बात है।
कोरोना की दूसरी लहर में अत्याधिक गंभीर प्रकृति के मरीज सामने आए थे। हालांकि सिविल अस्पताल में गहन चिकित्सा इकाई यानी आइसीयू न होने की कमी बेहद खली थी, इसके कारण यहां ऐसे मरीजों को भर्ती नहीं किया जा सका था। अब जबकि तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जाने लगी है तो जिला प्रशासन के साथ मिलकर सिविल अस्पताल प्रबंधन ने 6 बिस्तर वाले अल्ट्रा माडर्न आइसीयू की स्थापना का प्रस्ताव प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को भेजा है। बताया जा रहा है कि शासन स्तर पर इस आइसीयू को लगभग स्वीकृति मिल चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि एकाध माह में यहां पर आइसीयू की स्थापना हो जाएगी। वहीं बच्चों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो सिविल अस्पताल में एनआरसी के अंतर्गत 110 बिस्तर हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार नए वार्ड बनाने का प्रस्ताव जरूरत के मुताबिक तैयार किया जाएगा। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार वर्तमान में अस्पताल की रिपेयरिंग जैसी जरूरतों को पूरा किया जा रहा है।
सिविल अस्पताल गाडरवारा में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दो कमियां खासतौर से उभरकर आई थी। इसमें पहली अत्याधुनिक सेंट्रल लैब की थी जिसमें मरीजों के खून, कफ, मूत्र से संबंधित विभिन्न जांच हो सकती थी। दूसरी डिजिटल एक्सरे मशीन की कमी थी। दूसरी लहर का प्रकोप हल्का होते ही यहां पर शासन स्तर से सेंट्रल लैब की स्थापना कराई गई है। इस तरह की लैब जबलपुर के विक्टोरिया अस्पताल में भी स्थापित हुई है। सिविल अस्पताल के लिए इसे एक बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है। इसके अलावा यहां पर डिजिटल एक्सरे मशीन की भी स्थापना की गई है। इन दोनों सुविधाओं से लैस होने पर रोगियों को अब नरसिंहपुर या अन्य जगह नहीं जाना पड़ रहा है।
सीटी स्कैन को लेकर उहापोह कायम

कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा केस फेंफड़ों में इंफेक्शन के आए। समय पर जांच न होने के चलते बहुत से मरीजों की हालत बिगड़ी और उन्हें महानगरों में भर्ती होना पड़ा। कुछ की तो जान तक चली गई। इसकी प्रमुख वजह गाडरवारा तहसील में न सरकारी न निजी स्तर पर सीटी स्कैन मशीन से जांच की सुविधा थी। इसके कारण मरीजों को नरसिंहपुर जिला मुख्यालय पहुंचकर सीटी स्कैन कराना पड़ता है। मशीन को सिविल अस्पताल में स्थापित करने के लिए फरवरी 2021 से ही मांग की जा रही थी। इसे देखते हुए एनटीपीसी प्लांट ने सीटी स्कैन सिविल अस्पताल में स्थापित कराने के लिए 10 लाख रुपये रोगी कल्याण समिति में जमा भी करा दिया था। शहर के कुछेक समाजसेवी भी अनुदान राशि देने के लिए आगे आए। हालांकि वर्तमान में मशीन का मूल्य करीब डेढ़ करोड़ रुपये होने के कारण ये राशि नाकाफी साबित हो रही है। ये मशीन कब तक स्थापित होगी, इसे लेकर असमंजस बरकरार है। इस संबंध में जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश जैन का कहना है कि गाडरवारा में सीटी स्कैन मशीन लगवाने के लिए लगातार बात चल रही है।
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