scriptपरंपरागत शाश्वत यौगिक जैविक खेती की नई पहल | Traditional sustainable organic organic farming initiatives | Patrika News

परंपरागत शाश्वत यौगिक जैविक खेती की नई पहल

locationगाडरवाराPublished: Sep 07, 2018 06:52:00 pm

Submitted by:

ajay khare

प्रजापति ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का किसान सशक्तिकरण सम्मेलन संपन्न

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सालीचौका। प्राचीनकाल से ही कहा जाता है कि अन्न का मन पर प्रभाव पड़ता है, और मन का स्वास्थ्य और रोगों से गहरा संबंध है। इसी से कहते हैं जैसा खाओ अन्न, वैसा होगा मन, जैसा मन वैसा तन सभी मनुष्यों के लक्ष्य यही है कि हम निरोगी रहें। शांत शीतल और सात्विक प्रवृत्ति को धारण कर सुख में आनंद जीवन जीने के लिए पेस्टीसाइड का त्याग कर शाश्वत यौगिक खेती करें। जिससे हम शीतल और सात्विक प्रवृत्ति को धारण कर रखना और आनंदित जीवन जी सकें। इन्ही भाव उदगारों को लेकर किसानों को सशक्त बनाने दिव्य किसान सेवा रथ सालीचौका नगर में भ्रमण करते हुए राधाकृष्ण मंदिर पर पहुंचकर एक सम्मेलन में परिवर्तित हो गया। जिसमें नीता दीदी, संगीता दीदी, किशन भाई हरियाणा, माधुरी दीदी बालाघाट, कुसुम बहनजी नरसिंहपुर क्षेत्रीय संचालिका ब्रह्माकुमारी, प्रीति बहन जी, नरसिंहपुर राज योग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी वर्षा, सभी ने अपने अपने उद्बोधन में उपस्थित जनों को जैविक खेती नशा मुक्ति वनस्पति जैसे विषयों पर विस्तार से समझाया। कार्यक्रम में क्षेत्र के अनेक किसान किसान और भैया बहन उपस्थित रहे। अपने उद्बोधन में संगीता बहन जी ने बताया आज किसान का बेटा भी किसान नहीं बनना चाहता। जहां सभी वर्गों का तो विकास हो रहा है। लेकिन किसानों की आर्थिक सामाजिक स्थिति दयनीय है। अभी हमारे देश में आवश्यकता है वैचारिक क्रांति की, आध्यात्मिक क्रांति की। जो कि ग्राम विकास रथ भ्रमण कर रहा है। पहले के समय लोगों की मान्यता थी कि धरती हमारी मां है मैं अपने खेत में यूरिया नहीं डालूंगा। इन रासायनिक खादों के कारण अनेक बीमारियां आज हो रही हैं, हमें रासायनिक खादों से दूर रहना चाहिए। नीता बहन जी ने बताया बीज से पौधा अपने आप बनता है। किसान उसे खींचता नहीं है, न ही रंग भरता है। धरतीपुत्र ही असली किसान है। भगवान का संबंध प्रकृति के पांच तत्वों के साथ है ठीक वैसे ही किसानी भी पांच तत्वों के आधार पर होती है। इंसान को मलेरिया नहीं है तो वह कभी भी मलेरिया की गोली नहीं खाता है तो धरती मां को अनावश्यक रुप से रासायनिक खाद यूरिया आदि क्यों दिया जा रहा है। इसको पाउडर बनाकर क्या उसमें पौधा उगाया जा सकता है, नहीं हम रासायनिक खादों से अपनी खेती की जमीन को भी वैसा बनाते जा रहे हैं। गोबर खाद को यदि हम नहीं डालेंगे तो जमीन सशक्त नहीं बनेगी। खाद फसल सुरक्षा की जैविक विधि से सभी को अवगत कराते हुए माधुरी दीदी ने बताया कि हम कैसे खेती करें, इन बातों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान बच्चों से नृत्य नाटिका के माध्यम से जैविक खेती की जागृति दिलाई। किसान सेवा रथ द्वारा सालीचौका नगर के किसानों को विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। कार्यक्रम के अंत में हरिशंकर राय ने सबा आभार व्यक्त किया।

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