script

शादी के 2 माह बाद नई नवेली दुल्हन की खुल गई पोल, कोर्ट ने कहा- ये आपकी बीवी नहीं..

locationगरियाबंदPublished: Nov 02, 2018 07:30:02 pm

शादी के 2 माह बाद नई नवेली दुल्हन की खुल गई पोल, कोर्ट ने कहा- ये आपकी बीवी नहीं..

Chhattisgarh news

शादी के 2 माह बाद नई नवेली दुल्हन की खुल गई पोल, कोर्ट ने कहा- ये आपकी बीवी नहीं..

गरियाबंद/नवापारा-राजिम. शादीशुदा होते हुए भी एक महिला ने खुद को अविवाहिता बताकर दूसरी शादी करने का एक अनोखा मामला सामने आया है। कोर्ट में 5 साल तक चले इस इस मामले में न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के मामले का हवाला देते हुए फैसला सुनाया है। इधर जब दूसरे पति को अपनी नई नवेली दुल्हन की इस करतूत के बारे में पता चला तो उसके पैरो तले जमीन ही खिसक गई। कुटुम्ब न्यायालय के न्यायाधीश ने मामले को शून्य घोषित कर दिया।
युवक के उड़ गए होश जब पता चला पत्नी पहले से ही शादीशुदा
नगर के ओम शांति कालोनी निवासी शिक्षक भंवरलाल साहू ने अपने इंजीनियर पुत्र गुलाबचंद साहू का विवाह सामाजिक रीतिरिवाज से जून 2013 को फिंगेश्वर विकासखंड के ग्राम बारूला निवासी सुखदेव साहू की पुत्री पूर्णिमा साहू से किया था। विवाह के दो-तीन माह बाद ज्ञात हुआ कि पूर्णिमा पूर्व से ही शादीशुदा है और बिना विधिवत तलाक लिए उसने गुलाबचंद से विवाह किया है।
इसे आधार बनाकर गुलाबचंद द्वारा अधिवक्ता एसके फरहान के माध्यम से कुटुम्ब न्यायालय रायपुर के द्वितीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश अरविंद कुमार सिन्हा के समक्ष सप्रमाण याचिका पेश किया। जिसमें कहा कि पूर्णिमा के साथ हुए उसके विवाह को शून्य घोषित करने की मांग की थी।
गुलाबचंद की ओर से उसके अधिवक्ता फरहान ने न्यायाधीश को बताया कि पूर्णिमा पिता सुखदेव राम साहू ने जून 2012 को आर्य समाज मंदिर ओमनगर रायपुर में अपने प्रेमी घनश्याम राव शिंदे के साथ प्रेम विवाह किया है। पूर्णिमा साहू द्वारा साहू युवक-युवती परिचय सम्मेलन 2012 पुस्तिका में फोटो सहित परिचय प्रकाशित कराया गया था, जिसे देखकर उससे विवाह कर लिया।

महिला अपनी सहमति से विवाह विच्छेद कर दिया
वहीं, पूर्णिमा साहू ने न्यायालय को बताया कि समस्त तथ्यों से अवगत कराते हुए बताया गया था कि घनश्याम के साथ मेरे प्रेम विवाह के दो महीने बाद नोटरी के समक्ष एक स्टाम्प में आपसी सहमति से विवाह विच्छेद कर लिया गया है। जिसके बाद भलीभांति विचार करने के बाद ही गुलाबचंद और उसके पिता भंवरलाल साहू विवाह करने को तैयार हुए। हालांकि पूर्णिमा कोई गवाह प्रस्तुत करने में असफल रही।


न्यायाधीश ने कहा कि साक्ष्य के अनुसार विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त किए बिना दूसरा विवाह किया जाना, दूसरा विवाह शून्य एवं अकृत घोषित किये जाने योग्य है। वहीं न्यायाधीश ने पूर्णिमा द्वारा विवाह के समय गुलाबचंद को उसके परिवार द्वारा दिये गए स्त्रीधन को वापस दिलाए जाने की मांग भी अस्वीकृत कर दिया।

ट्रेंडिंग वीडियो