प्रधानमंत्री अपने किए घोषणा के अनुरूप कृषि उपजों की वास्तविक उत्पादन की लागत से डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करें, लेकिन अभी तक किसी भी फ सलों का एमएसपी लागत मूल्य से डेढ़ गुना नहीं किया गया। वर्तमान में घोषित समर्थन मूल्यों पर कहीं भी खरीदी नहीं की जा रही है। आज भी किसानों को राज्य शासन द्वारा खरीदी की जा रही 15 क्विन्टल मात्रा की धान के अतिरिक्त मात्रा को औने-पौने दाम पर मंडियों में एवं सीधे राईस मीलों में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
किसानो को यदि सही राहत पहुंचाना हो तो सभी फ सलों के समर्थन मूल्यों में वृद्धि करे तथा समर्थन मूल्यों पर ही सभी फ सलों की खरीदी को सुनिश्चित करे। समर्थन मूल्यों से कम पर खरीदी किए जाने पर कड़े कानून बनाकर कठोर कार्रवाई की जाए। कोल्ड स्टोरेज में या भंडार गृह में किसानों को 50 प्रतिशत शुल्क की छूट का भी कोई विशेष फ़ायदा नहीं है क्योंकि पूरे देश में किसानों को ही ये सुविधा की आवश्यकता है।
देश में उतनी संख्या में न ही कोल्ड स्टोरेज है और न ही भंडार गृह है जिसके कारण किसानों का लाखो टन अनाज खराब हो रहा है। साहू ने कहा कि भंडार गृह किसानों को उपलब्ध नहीं है तो छूट का फायदा किसानों को कैसे मिलेगा। यह निरर्थक और व्यर्थ की घोषणा है। किसान देश में कहीं भी किसी भी मंड़ी में अपनी उपज बेचने की छूट, योजना मात्र कुछ विशेष उपज एवं किसानों के लिए ही ठीक है लेकिन अधिकांश किसानों को दूर की मंडियों में ले जाकर अपनी उपज बेचने में परिवहन का अतिरिक्त व्यय भार होगा अत: यह भी अधिक फायदे मंद नहीं होगा।