ग्रामीण भी बताते हैं कि बच्चों की पढ़ाई बहुत ज्यादा प्रभावित हो रही है, वहीं शिक्षक भी इस बात को मानकर साफ तौर पर कह रहे हैं कि एक ही जगह में तीन कमरों में आठ क्लास का संचालन होना ही शैक्षणिक गुणवत्ता के दावों को फिसड्डी साबित कर रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि दो साल पहले स्वीकृत हुए प्राथमिक शाला का भवन पंचायत के सरपंच और सचिव की लापरवाही के चलते अधूरा पड़ा हुआ है। ग्रामीणों का दावा है कि स्वीकृत हुआ भवन यदि समय पर बन जाता तो बच्चों की पढ़ाई ज्यादा प्रभावित नहीं होती।
एक कमरे में तीन कक्षाएं
गांव के मेघनाथ यादव बताते हैं कि भवन नहीं होने के चलते प्राथमिक और मिडिल दोनों स्कूल के बच्चों की पढ़ाई बिल्कुल न के बराबर ही हो पा रहा है। मेघनाथ प्राथमिक शाला के शाला विकास प्रबंधन समिति के अध्यक्ष हैं, उनका कहना है कि एक कमरे में पहली, दूसरी और तीसरी के बच्चों को बिठाकर पिछले पांच साल से तीनों कक्षाएं एक ही कमरे में लगाई जा रही है, तो ऐसे में शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता कहां से आएगी।
मेघनाथ बताते हैं कि उन्होंने भी शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता लाने के लिए कई बार शिक्षकों को कहा है, लेकिन भवन की कमी सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है। ऐसी स्थिति में यहां पढ़ाई बहुत ज्यादा प्रभावित हो रही है और बच्चे भी पढ़ाई में रुचि नहीं ले पा रहे हैं। वहीं, शिक्षक भी मानते हैं जगह की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती आ रही है।
तीन कमरों में 160 बच्चे का तैयार हो रहा भविष्य
शासन शैक्षणिक गतिविधियों में गुणवत्ता लाने के लिए करोड़ों रुपए हर साल खर्च कर रही है। फिर भी जमीनी स्तर पर ये सफल नहीं हो पा रहा है। नवीन सुकलीभांठा के मिडिल स्कूल के तीन कमरों में पहली से लेकर आठवीं तक के 160 बच्चे बैठकर पढऩे को मजबूर हैं।
यहां तीन कक्षाओं में तो क्लास लगती ही है, साथ में जगह की कमी होने के कारण आठवीं के बच्चों को बरामदे में बिठाकर पढ़ाना शिक्षक की मजबूरी हो जाती है, शिक्षक भी बताते हैं कि उन्हें भी शाला संचालन करने में बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, हालांकि शाला संचालन करना उनकी मजबूरी है, जैसे-तैसे संचालन कर रहे है। वहीं, ग्रामीण बताते हैं कि करीब पांच साल पहले स्वीकृत हुआ प्राथमिक शाला का अतिरिक्त कक्ष भी अब तक अधूरा पड़ा हुआ है, उसे भी पंचायत के जिम्मेदार ही बना रहे हैं।
ग्राम पंचायत सुकलीभांठा नवीन के सरपंच दयाराम बिसी ने बताया कि मुझे जितनी राशि मिली है, मैंने उतना काम कर लिया है। वहीं जल्द ही काम शुरू कर दिया जाएगा। किसी भी शर्त में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने नहीं दिया जाएगा।
जनपद पंचायत देवभोग के सीईओ मोहनीश आनंद देवांगन ने बताया कि काम को पूरा करने के लिए मैंने सरपंच को नोटिस भी जारी किया है, वहीं मैं खुद मौके पर जाकर दौरा कर वस्तुस्थिति देखूंगा।