जिसका आंकलन मतदान के पूर्व लगाया जा चुका था, यह इस क्षेत्र के मीडिया से जुड़े हुए लोगों को अच्छी तरह से मालूम था परंतु चुनाव आयोग की कड़ाई के कारण इस पर हाथ डालना किसी ने भी उचित नहीं समझा। लेकिन खामोश जनता का तूफान इतना खतरनाक होगा, इसका अंदाजा शायद कुछ ही लोगों ने लगाया था। मतदान के बाद कांग्रेस और भाजपा कार्यकर्ताओं का आंकलन भी प्रकाशित किया गया था। इधर, परिणाम को लेकर उनके कट्टर समर्थक रामकुमार गोस्वामी, विकास तिवारी, सुनील तिवारी, मनीष दुबे, भावसिंग साहू, गिरीश रजानी ने मतदान 20 नवंबर के दो दिन बाद विशेष चर्चा में कहा भी था कि गर 5-7 हजार वोटों से जीत होगी तो उसे जीत नहीं मानेंगे। जीत का अंतर हर हाल में 25 से 30 हजार की होगी।
ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भावसिंग साहू ने दो कदम आगे बढक़र कहा था कि 45 से 50 हजार वोटों की लीड से जीतेंगे। सचमुच में जीत की लीड 50 हजार से अधिक होगी यह बात लोगों के गले नहीं उतर रही थी, लोग मानने को तैयार नहीं थे। इसे अति-उत्साह करार दे दिया गया था। वैसे भी इस बार हुए बंपर मतदान 82.86 प्रतिशत को लोग सत्ता पक्ष के खिलाफ भी मानकर चल रहे थे और हुआ भी वैसा।