हालांकि विभाग की कार्रवाई लोगों के गले नहीं उतर रही है कि इतनी पेटी एमपी के दारू को लाने और बेचने में केवल सेल्समेन का ही हाथ होगा? जिस टीम ने इस दारू को पकड़ा है, उसके द्वारा राजिम में मीडिया को कोई जानकारी नहीं दी गई। इसे बहुत ही गोपनीय रखा गया। दूसरे दिन पता चला कि दुकान के सुपरवाइजर संतोष देवांगन, सेल्समेन दिलीप यादव, प्रकाश राव चौहान और गुप्तेश्वर पुरेना को आबकारी एक्ट के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
जब इतना बड़ा मामला सामने आया, तो कायदे से इन चारों आरोपियों जिन्हें जेल भेजा गया है, मीडिया के सामने प्रस्तुत करना था। चूंकि पहले भी जितने आरोपियों की समय-समय में धर-पकड़ हुई है, उनकी बाकायदा फोटो सहित जानकारी दी गई है। लेकिन इस बड़ी घटना की जानकारी देना विभाग ने उचित क्यों नहीं समझा। लोगों के जेहन में यह बात रह-रहकर उभरकर सामने आ रही है कि मध्यप्रदेश से इतनी बड़ी मात्रा में शराब राजिम पहुंच गई और विभाग के अफसर सोते रहे। न जाने कितने बेरियर को पार होकर यह शराब यहां तक पहुंची।
मदिराप्रेमियों की मानें तो एमपी लेबल का ये शराब वे तो महीनों से पी रहे हैं। इनका यह भी कहना है कि हमें दारू से मतलब चाहे वह कहीं का भी हो। यहां जब भंडाफोड़ हुआ, तब पता चला कि एमपी का शराब पकड़ा गया। लोग बताते हैं कि बहुत पहले से यह कारोबार राजिम ही नहीं कई भ_ियों में चल रहा है। जिला भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी अधिवक्ता महेश यादव का साफ कहना है कि जिन चार सेल्समेनों को जेल भेजा गया है, वे तो बलि का बकरा बनाए गए है।
बिना अफसरों के घालमेल के इतने बड़े काम को अंजाम देना संभव ही नहीं है। बहरहाल राजिम के सरकारी शराब दुकान में 79 पेटी दारू मिलने से आबकारी विभाग की छीछालेदर और फजीहत पूरे जिले में हो रही है। इसके जिला अधिकारी संदेह के दायरे में आ गए हैं। विधायक अमितेश शुक्ल सहित राजिम के नागरिकों ने इस मामले की बारीकी से जांच किए जाने की मांग शासन स्तर में की है। कहा है कि इसमें जो भी लोग शामिल हों, उनके खिलाफ वैधानिक रूप से कड़ी कार्रवाई हो।