इस मछली का वैज्ञानिक नाम है हाइपोस्टोमस प्लेकोस्टोमस (hypostomus plecostomus) और Siluriformes के अंतर्गत आता है। इसे मछली चूसने वाली शैवाल, कांच साफ करने, पत्थर चूसने, कांच चूसने या कांच चूसने के नाम से भी जाना जाता है। इसका शरीर हल्के भूरे रंग का होता है जिसमें कुछ गोल, काले धब्बे होते हैं। सिर पर भी काले धब्बे हैं। प्रजातियों के आधार पर, कुछ नमूने ऐसे होते हैं जिनका पूरे शरीर पर गहरा रंग होता है। डेविल फिश(Devil Fish) में पानी से बाहर लंबे समय तक रहने की क्षमता होती है। यहां तक कि इसके माध्यम से चलते हैं। ये मछलियां 14 घंटे तक पानी से बाहर रहे हैं।
एक्सपर्ट का मानना है कि भारत में इन मछलियों का मिलना ठीक नहीं हैं और इनका असली घर भारत की नदियां नहीं है। इस मछली की चार आंखें होती हैं। साथ ही इसमें एयरोप्लेन के आकार के पंख दिखाई पड़ते हैं। आमतौर पर मछलियों का आकार ऐसा नहीं होता है। जानकारों का कहना है कि यह मछली पूरी तरह मांसाहारी होती है। एक्सपर्ट के मुताबिक इस मछली का मिलना नदी के इकोसिस्टम के लिए भी चिंताजनक है। यह मछली आसपास के जीव-जंतुओं को खाकर जिंदा रहती है। यह अपने पास किसी दूसरे जीव या मछली को जिंदा नहीं रहने देती। दूसरे के लिए यह खतरनाक तो है ही साथ है मार्केट में इस फि श की कोई वैल्यू भी नहीं है। इसे लोग खाना पसंद नहीं करते और खाने से डरते हैं। यह मछली बिल्कुल बेस्वाद होती है।