बनगवां गांव में एक हथिनी ने शावक को जन्म भी दिया। उसके बाद वन विभाग की गज वाहन की टीम एवं फिशर वन परिक्षेत्र के टीम ने रेस्क्यू कर कीचड़ में फंसे बच्चे को बाहर निकाला था और मादा हथिनी के पास छोड़ा था। जिसे लेकर वह महासमुंद जिले के धनसुली होते हुए हाथियों का दल निकल गया था। और वहां केलाबाड़ी को भारी नुकसान पहुंचाया था।
सबको लगा कि अब हाथी जिले से चला गया है और किसानों या वन विभाग ने राहत की सांस ले थी। फिर एक बार वन विभाग के लिए सिरदर्द बना यह दिल कुछ दिनों बाद फिर गरियाबंद जिले में प्रवेश कर लिया है। बीते दिनों जिले के वन परीक्षेत्र फिंगेश्वर एवं वन परिक्षेत्र छुरा के बीच सोरी जंगल में डेरा जमाए हुए है। जिसको लेकर वन विभाग एवं किसान चिंतित हैं वापस जाने के बाद हाथियों के दल फिर जिले में आ गया।
इससे लगता है कि गरियाबंद जिले के जंगल हाथियों रास आ गया है। फिलहाल इन दिनों किसानों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। क्योंकि धान में बालियां लग रही है और धान निकल रहे हैं ऐसे में खून पसीना वहा कर फसल लगाने वाले किसानों के लिए विभाग का मुआवजा पूर्ति नहीं हो पाती। हालांकि हाथियों को खदेड़ने में और फसल को बचाने में विभाग कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।