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Corona का ऐसा खौफ : मरने वालों की अस्थियां व राख तक ले जाने को तैयार नहीं परिजन

locationगरियाबंदPublished: Aug 10, 2020 08:05:48 am

Submitted by:

Bhawna Chaudhary

कोरोना वायरस की वजह से मरने वालों के परिजन मृतक की अस्थियां (फूल) और राख (खारी) तक नहीं ले जा रहे। हिंदू रीति-रिवाज में अस्थियों का नदियों में विसर्जन का महत्व है। मगर, अपने करें भी तो क्या?

Corona का ऐसा खौफ : मरने वालों की अस्थियां व राख तक ले जाने को तैयार नहीं परिजन

Corona का ऐसा खौफ : मरने वालों की अस्थियां व राख तक ले जाने को तैयार नहीं परिजन

रायपुर. कोरोना महामारी के बीते 4 महीनों में जीवन शैली को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। बदलाव रीति-रिवाज, परंपराओं और संस्कारों में भी आए हैं। अब इसे बेबसी कहें या कोरोना का डर या फिर आर्थिक तंगी। कोरोना वायरस की वजह से मरने वालों के परिजन मृतक की अस्थियां (फूल) और राख (खारी) तक नहीं ले जा रहे। हिंदू रीति-रिवाज में अस्थियों का नदियों में विसर्जन का महत्व है। मगर, अपने करें भी तो क्या?

राजधानी में कोरोना से अब तक 38 लोगों अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो हैं तो दूसरे जिलों के मगर इलाज के लिए रायपुर में भर्ती किए गए थे। अंतिम सांस उन्होंने रायपुर में ही ली। इनका अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत किया जा रहा है। इसके लिए देवेंद्र नगर मुक्तिधाम को चिन्हित किया गया है। ‘पत्रिकाÓ टीम मुक्तिधाम पहुंची। जहां कोरोना से मरने वाले एक मरीज के अंतिम संस्कार की तैयार की जा रही थी।

यहां चैंबर में कई मृतकों की अस्थियां रखी हुई थीं। बोरों में राख भी। पूछने पर नगर निगम द्वारा नियुक्ति निगम कर्मी बलराम सोनवानी ने बताया- 12 बोरियों में राख रखी हुई है, अस्थियां भी हैं। यहां संख्या पहले अधिक थी, बीच में कुछ लोग आए और अस्थियां ले गए।

पूछे जाने पर बलराम बोले- अधिकारियों ने इन्हें सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं। सभी पर नाम लिखकर रख दिए गए हैं। बतां दें कि रायपुर में कोरोना से एक मुस्लिम युवक की भी मौत हुई। मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार मौदहापारा मुक्तिधाम में जिला प्रशासन द्वारा परिजनों की मौजूदगी में दफनाने की प्रक्रिया पूरी की गई।

इन उदाहरणों से समझिए, क्यों मजबूर हैं अपने-

बेबसी– रायपुर के एक परिवार के सात लोग संक्रमित पाए गए। जिनमें से एक की मौत हो गई। शव मुक्तिधाम पहुंचा तो, परिजनों से बात की गई। बेबस परिजनों ने कहा- हम सभी अस्पताल में भर्ती हैं, संक्रमित हैं। आप दाह संस्कार कर दें। एक मजबूरी यह भी है कि लॉकडाउन के वजह से अस्थियों को विसर्जन करने ले भी नहीं जा सकते।

डर– बिलासपुर के एक बुजुर्ग की मौत होने पर परिजन काफी डरे हुए थे। उन्होंने कहा- हम मुक्तिधाम के अंदर नहीं आ सकते।

आर्थिक परिस्थिति– मुक्तिधाम में 5 से 7 सात ऐसे भी मृतकों के शव पहुंचे, जिनके अपनों के पास अंतिम संस्कार के लिए निर्धारित किए गए 2300 रुपए तक नहीं थे। जिला प्रशासन के अधिकारियों ने खुद अपने पैसों से रसीद काटकर दाह संस्कार की प्रक्रिया पूरी की।

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