सूरजपुर जिले के सिलफिली और आसपास गांव के किसानों ने इस तकनीक का उपयोग किया है। वैज्ञानिक तकनीक के तहत किसान बैगन की खेती करके लाखों रुपए कमा रहें हैं। दरअसल इस तकनीक के माध्यम से तैयार पौधे की जड़ और तना जंगली बैगन का होता है। इसके ऊपर हाईब्रिड बैगन के पौधे को ग्राफ्टिंग के माध्यम से तैयार किया जाता है। फिर इन पौधो को खेत मे प्लांट किया जाता है।
ग्राफ्टेड पौधे से तैयार बैगन को सिलफिली इलााके के किसानों को बेचने नहीं जाना पड़ता है, क्योंकि किसानों के उत्पाद के देखते हुए सिलफिली सरगुजा संभाग की सबसे बडी थोक मंडी बन चुकी है। ऐसे में यहां उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, बिहार और ओडिशा के थोक व्यापारी मंडी में आकर ही इस बैगन की फसल को अपने प्रदेशां मे ले जाते है। इससे किसानों को अपने उत्पाद को बेचने मे कठिनाई भी नहीं होती है और अच्छी खासी आमदनी हो जाती है।
छत्तीसगढ़ ने 2017 में तकनीक को अपनाया
युवा किसान औऱ सब्जी उत्पादन के जानकार दितेश राय के मुताबिक सब्जियों मे इस तकनीक की शुरुआत सबसे पहले इजराइल देश ने की थी। देश में सबसे पहले छत्तीसगढ़ और पंजाब के किसानों ने इसे 2016-17 में अपनाया। छत्तीसगढ़ के किसानों ने इस तकनीक को 2016 में ही अपना लिया था। सिलफिली से लगे गांव गणेशपुर के किसान संजय दास इस तकनीक के इतने मुरीद हो गए हैं कि जबसे इस तकनीक के पौधे छत्तीसगढ में तैयार होने लगे हैं, वे लगातार बैगन की खेती कर रहे हैं।
एक पौधे से साल में 80 से 120 किलो उत्पादन
सिलफिली इलाके कें किसान संजय व अन्य किसानो के अनुसार ग्राफ्टेड बैगन का सिंगल व स्वस्थ पौधे से साल में औसतन 80 से 120 किलो तक का उत्पादन लिया जा सकता है। ऐसे मे अगर औसतन 20 रुपए प्रति किलो के हिसाब से एक पौधा साल में 2 हजार रुपए कमाई देता है तो एक एकड़ मे लगे 2500 पौधे से होने वाली आमंदनी का आप खुद अंदाजा लगा सकते है। लेकिन जरूरत समय पर खाद पानी और विशेष देखरेख की होती है।
जांजगीर : गेहूं की जैविक खेती से पंजाब के किसान भी पीछे
सक्ती ब्लाक के ग्राम जाजंग के किसान पारथ कुमार गबेल ने गेहूं की उन्नत किस्म की खेती कर कमाल कर दिखाया है। जैविक खेती कर न केवल प्रति एकड़ में 20 क्ंिवटल गेहूं उगाने का प्रण किया बल्कि उसने सफलता पा भी ली है क्योंकि उसके तकरीबन 600 एकड़ खेत में उन्नत किस्म श्रीराम सुपर 303 किस्म के गेहूं लहलहा रही है बल्कि आने वाले एक सप्ताह में फसल कटने लायक भी हो जाएगी। इस किसान की फसल ऐसी है जिसे कृषि वैज्ञानिक व कृषि विभाग के अधिकारी दौरे पर देखने आते हैं और खुशी व्यक्त कर किसान की मेहनत की प्रशंसा करने नहीं चूकते। किसान का मानना है कि पंजाब में अधिकतम 20 क्ंिवटल प्रति एकड़ गेहूं की फसल का रिकार्ड है लेकिन हमने यह लक्ष्य पाने के लिए अधिक मेहनत किया और लगभग लक्ष्य को पा लिया है क्योंकि पंजाब की भूमि की तासीर की तरह यहां की भूमि को भी बना रहे हैं।
जैविक खेती को बनाया रामबाण
किसान के लिए बड़ी बात यह है कि वह जैविक खेती को हथियार बनाया है। यानी खुद के बनाए वर्मी कंपोष्ट खाद का छिड़काव करते हैं। गोमूत्र, गोबर व कचरे को सड़ाकर बनाए खाद का ही इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि उसके गेहूं की बालियां पांच -पांच इंच की हैं।
जाजंग के किसान पारथ कुमार गबेल ने गेहूं की उन्नत खेती कर रहा है। निश्चित ही जिले के किसानों के लिए यह प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। अन्य किसानों को भी इनसे सीख लेनी चाहिए।
- एमआर तिग्गा, डीडीए